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लौकहा रेलखंड में मीटरगेज लाइन इतिहास के पन्नों में दर्ज

लौकहा रेलखंड में मीटर गेज लाइन अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इसकी आयु करीब 41 वर्षों की रही। बड़ी लाइन में तब्दील करने के लिए शुक्रवार की रात से रेलवे प्रशासन ने इस रेलखंड पर मेगा ब्लॉक कर दिया...

लौकहा रेलखंड में मीटरगेज लाइन इतिहास के पन्नों में दर्ज
Center,MuzaffarpurFri, 26 May 2017 11:50 PM
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लौकहा रेलखंड में मीटर गेज लाइन अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इसकी आयु करीब 41 वर्षों की रही। बड़ी लाइन में तब्दील करने के लिए शुक्रवार की रात से रेलवे प्रशासन ने इस रेलखंड पर मेगा ब्लॉक कर दिया है। इस रेलखंड पर सफर अमूमन सुरक्षित रहा। वर्ष 1974 के पहले यह क्षेत्र रेल विहीन था। दरभंगा, जयनगर, निर्मली के साथ लंबी रेल यात्रा के लिए लोगों को झांझरपुर, राजनगर, सकरी जाना पड़ता था। आजादी के बाद से ही इस क्षेत्र में रेल लाइन की मांग होने लगी थी। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की पहल पर 1974 से रेल ट्रैक बनना शुरू हुआ। वर्ष 1976 से रेल गाड़ियां चलने लगी थीं। इस रेलखंड में लौकहा, खुटौना, पटेल नगर, बरहरा, वाचस्पतिनगर, चंदेश्वर स्थान, महरैल, झंझारपुर बाजार और झंझारपुर जंक्शन रेलवे और हाल्ट स्टेशन हैं। ब्लॉक लेने तक इस रेल खंड में चार जोड़ी गाड़ियां आती-जाती थीं। वर्ष 1987 की भयंकर बाढ़ में इस रेलखंड को काफी नुकसान पहुंचा। घाटे में चल रही इस रेल लाइन को विभाग बंद करने के प्रयास में था। लेकिन तत्कालीन लोकसभा सदस्य डॉ. गौरी शंकर राजहंस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहकर इसे चालू करवाया था। एक-आध छोटी-मोटी दुर्घटनाओं को छोड़कर इस छोटी लाइन का 41 वर्षीय सफरनामा अमूमन सुरक्षित ही रहा। इस रेलखंड पर मात्र दो बार ट्रेन बेपटरी हुई। इस रेल खंड को ब्रॉडगेज लाइन में तब्दील करने की मांग पुरानी थी। पूर्व सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव ने इसके लिए कई सभाएं की थीं। कई संगठनों ने निर्मली जाने के क्रम में तात्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर ज्ञापन भी दिया था। मेगाब्लॉक की अवधि भले लम्बी हो पर लोगों में खुशी है। उनमे रेलवे में सहूलियत बढ़ने की आस जगी है। चालू होने पर लम्बी रेल यात्रा संभव हो जायेगी। मेगाब्लॉक तक स्टेशन और हाल्ट के चाय-नास्ता पान आदि के दुकानदारों का कारोबार प्रभावित होगा। कोर्ट कहचरी और रोज झंझारपुर आने-जाने वालों का खर्चा बढ़ जाएगा। हालांकि बस-टेम्पू वालों की आमदनी बढ़ेगी। वाचस्पतिनगर रेलवे स्टेशन मास्टर शीलेन्द्र कुमार और श्याम सुन्दर झा ने कहा कि वर्ष 1974 के पहले और बाद के वर्षों में होने वाले आर्थिक विकास की तुलना करने पर रेलवे की उपयोगिता का पता चल जायेगा।

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