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बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

किताब की सरकारी व्यवस्था के भरोसे ही बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में मिलने वाली नि:शुल्क किताबें खुले बाजार में नहीं मिल रही। इसलिए बच्चे व अभिभावक चाहकर भी नहीं खरीद...

बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याTue, 19 Sep 2017 11:59 PM
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किताब की सरकारी व्यवस्था के भरोसे ही बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में मिलने वाली नि:शुल्क किताबें खुले बाजार में नहीं मिल रही। इसलिए बच्चे व अभिभावक चाहकर भी नहीं खरीद पाते। इस तरह यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? अभिभावकों में गुस्सा होना लाजिमी है। बता दें कि नए सत्र की पढ़ाई के पांच माह बीत गये। लेकिन दो लाख 90 हजार बच्चों को अब भी किताब नहीं मिली है। गत साल आठवी कक्षा के 39 हजार बच्चों को किताब ही नहीं मिली। बच्चे किताब के इंतजार में ही रह गए। पहले भी किताब कई माह इंतजार के बाद दी जाती रही। बच्चों के शिक्षा में किताब जरूरी है, लेकिन जब समय पर नहीं मिले तो फिर बच्चों की बेहतर शिक्षा की बात करनी भी बेइमानी है। सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क पाठय-पुस्तक कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के लिए मुसीबत से कम नहीं है। बच्चे किताब के लिए परेशान हैं तो अभिभावक बच्चों के पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। बच्चों व अभिभावकों के लिए बेबसी ही तो है बाजार में भी सिलेबस की किताब नहीं मिलती। सरकार देगी तब ही बच्चे किताब ले सकते हैं। पिछले आठ साल से हर बार नए सत्र के बच्चों की सरकारी किताब आने के इंतजार में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस शैक्षणिक सत्र की बात करें तो पढ़ाई शुरू हुए पांच माह गुजर गए। कुछ बच्चों को किताब इस लिए मिल गया कि पुरानी किताब बच्चों से ली गई। तो कुछ पहले के बजे किताब बांटे गए। इस साल नया किताब नहीं आने से अब भी बड़ी संख्या में बच्चे किताब से महरूम हैं। सरकार बिना किताब दिए ही बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की ठोल पीट रही है। लेकिन हकीकत सबके सामने है।आखिर किताब लाएं तो कहां से: अभिभावकों को अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता सता रही है। बच्चे बिना किताब के स्कूल जा रहे हैं। तो अभिभावक भी बच्चों को चाह कर भी किताब दिला नहीं सकते। शिक्षक भी करें तो क्या सरकार किताब बांटने के आए तो बच्चों को दें। बच्चों को किताब देने की जिनकी जिम्मेदारी है वो बच्चों को किताब दे नहीं रहे हैं। इस सब के बीच बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार बच्चों को नि:शुल्क किताब देती है। राज्य स्तर पर एजेंसी किताब छापकर सीधे बीआरसी को उपलब्ध कराती है। हर साल यही स्थिति किताब की इंतजार की रही।

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