ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार जहानाबादएक तपस्वी की तप स्थली था उदेरा स्थान

एक तपस्वी की तप स्थली था उदेरा स्थान

कालंतर में था उवेरा स्थान नाम, परिवर्तित नाम हो गया उदेरा स्थान गंगा दशहरा के दिन होती है विशेष पूजा, कई गांवों के लोग करते हैं पूजा मखदुमपुर। निज संवाददाता फल्गु नदी में बराज निर्माण के कारण...

एक तपस्वी की तप स्थली था उदेरा स्थान
हिन्दुस्तान टीम,जहानाबादWed, 28 Jun 2017 05:35 PM
ऐप पर पढ़ें

कालंतर में था उवेरा स्थान नाम, परिवर्तित नाम हो गया उदेरा स्थान गंगा दशहरा के दिन होती है विशेष पूजा, कई गांवों के लोग करते हैं पूजा मखदुमपुर। निज संवाददाता फल्गु नदी में बराज निर्माण के कारण उदेरा स्थान आज चर्चा में है। क्योंकि बराज का निर्माण उदेरा स्थान के पास हुआ है। वहां उदेरा स्थान नाम का कोई गांव नहीं है। एक छोटा सा शिव मंदिर है, जिसका कालंतर में उवेरा स्थान नाम था। बाद में परिवर्तित होकर इसका नाम उदेरा स्थान हो गया है। यह स्थल जमनगंज पंचायत के सुलतानपुर और टिकोरा गांव के निकट है। आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों पूर्व उक्त स्थल पर एक संत का आश्रम था। वे कौन और कहां के रहनेवाले थे, इस बात का पता किसी को नहीं था। वे उवर बाबा के नाम से आज भी याद किए जाते हैं। उनके बारे में दंत कथा है कि वे एक चमत्कारी संत व शिव भक्त थे। उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की थी। बाद में उस स्थान पर ग्रामीणों ने एक छोटा मंदिर बनवा दिया। निकट के गांवों टिकोरा, सुलतान पुर, कन्हैया बिगहा आदि के ग्रामीण वहां पूजा करने जाते हैं। गंगा दशहरा के दिन विशेष पूजा होती है। आज भी स्थानीय लोग उसे उबेरा स्थान या उबेर बाबा स्थान के नाम से जानते हैं। पर सरकारी दस्तावेज में इसका नाम उदेरा स्थान ही है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें