पार्षद नहीं बने पर पार्षद पति का मिला हक
आरक्षण के कारण कई पार्षद इस बार अपने वार्ड से चुनाव में नहीं उतर सके। हालांकि अपने बदले उन लोगों ने अपनी पत्नी को मैदान में उतार दिया। उनकी पत्नियों ने बाजी मारकर पार्षद बनने का गौरव प्राप्त कर लिया...
आरक्षण के कारण कई पार्षद इस बार अपने वार्ड से चुनाव में नहीं उतर सके। हालांकि अपने बदले उन लोगों ने अपनी पत्नी को मैदान में उतार दिया। उनकी पत्नियों ने बाजी मारकर पार्षद बनने का गौरव प्राप्त कर लिया और कई पूर्व पार्षदों ने अब पार्षद पति कहलाने का हक प्राप्त कर लिया। वार्ड नम्बर 35 महिला के लिए आरक्षित हो जाने के बाद वहां के पार्षद किशोर कुमार प्रजापति ने दूसरे वार्ड से भाग्य आजमाने के बदले वहां से अपनी पत्नी में विश्वास रखा। जनता ने भी उनका साथ दिया और उनकी पत्नी आशा प्रजापति ने जीत हासिल कर ली। इसी तरह वार्ड नम्बर 29 से पार्षद मुन्ना खान ने अपनी पत्नी शबाना खानम को मैदान में उतारा। उन्होंने ने भी दूसरे वार्ड से चुनाव नहीं लड़ा और अपनी पत्नी को विजय बनाने में अपनी ताकत झोंक दी। इसका परिणाम भी सामने आया और उनकी पत्नी शबाना खानम ने जीत दर्ज कर ली। वार्ड नम्बर 30 से पार्षद नफीजुल रिंकू ने भी अपनी पत्नी जीनत परवीन पर विश्वास जताया। श्री रिंकू ने भी दूसरी सीट से अपना भाग्य आजमाने के बजाय अपनी पत्नी के पक्ष में जमकर प्रचार किया। उनकी पत्नी ने भी जीत दर्ज कर पार्षद बनने का गौरव प्राप्त कर लिया। वार्ड नम्बर 42 के महिला के लिए आरक्षित होने के बाद पार्षद अशोक कुमार ने अपनी पत्नी शीला देवी को मैदान में उतारा। उन्होंने भी दूसरे वार्ड से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया। उनकी पत्नी भी विजयी रहीं। वहीं वार्ड नम्बर 25 के पार्षद शाहिद रब ने भी अपनी पत्नी शाहिदा खातून पर भरोसा जताया तो उन्हें भी वार्ड के लोगों ने भरपूर आशीर्वाद दिया। वहीं दूसरे वार्ड से अपना भाग्य आजमाने वाले अधिकांश पार्षदों को हार का सामना करना पड़ा।