Vishwakarma Puja 2017: इनकी पूजा करें, मशीनरी निभाएगी लंबे समय तक साथ
भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं। वह वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य माने जाते हैं। उनकी जयंती पर उनकी आराधना के साथ औजारों की पूजा की जाती है। माना...
भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं। वह वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य माने जाते हैं। उनकी जयंती पर उनकी आराधना के साथ औजारों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन से मशीनरी लंबे समय तक साथ निभाती है। आप जिन मशीनरी का उपयोग करते हैं उनकी साफ-सफाई रखें। इनकी अच्छे से देखरेख करें।
भगवान विष्णु के नाभि-कमल से भगवान ब्रह्मा उत्पन्न हुए। भगवान ब्रह्मा के पुत्र का नाम धर्म था, जिनका विवाह वस्तु से हुआ। धर्म और वस्तु के संसर्ग से सात पुत्र उत्पन्न हुए। सातवें पुत्र का नाम वास्तु रखा गया, जो शिल्पशास्त्र में पारंगत थे। वास्तु के पुत्र का नाम विश्वकर्मा रखा गया।
सोने की लंका, इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। उन्होंने ही उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी किया। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। सभी औजारों की तिलक लगाकर पूजन करना चाहिए। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा पानी में चल सकने वाली खड़ाऊ भी बना सकते थे।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।