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जन्माष्टमी 2017: सखा भाव से करें श्रीकृष्ण की उपासना 

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। कंस के अत्याचार से त्रस्त लोगों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में श्रावण माह में कृष्ण पक्ष अष्टमी की मध्यरात्रि मथुरा में अवतार...

जन्माष्टमी 2017: सखा भाव से करें श्रीकृष्ण की उपासना 
लाइव हिन्दुस्तान टीम  ,मेरठFri, 11 Aug 2017 03:51 PM
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जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। कंस के अत्याचार से त्रस्त लोगों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में श्रावण माह में कृष्ण पक्ष अष्टमी की मध्यरात्रि मथुरा में अवतार लिया। श्रीकृष्ण आनंद के प्रतीक हैं। सादगी के सार और प्रेम के स्रोत हैं। कान्हा का जन्मोत्सव संपूर्ण विश्व के लिए आनंद का संदेश देता है। भगवान श्रीकृष्ण की उपासना सखा या सखी भाव से करनी चाहिए। 

जन्माष्टमी का व्रत, व्रतराज कहा जाता है। इस व्रत के पालन से कई व्रतों से प्राप्त होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, श्रीजयंती के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा गया है। इस रात्रि में कान्हा का ध्यान करने से सांसारिक मोहमाया से आसक्ति दूर होती है। 

माना जाता है जो इस दिन व्रत पूजा करते हैं, वह एक बच्चे का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण मानव जीवन के सभी चक्रों से गुजरे, इसीलिए उन्हें पूर्णावतार कहा जाता है। उन्होंने सुदामा से मित्रता निभाई तो शिशुपाल का वध किया। युधिष्ठिर के यज्ञ में अतिथियों के पैर धोए तो महाभारत के युद्ध में अर्जुन को आत्मा की अमरता का संदेश दिया। 

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