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सक्सेस मंत्र: सबसे बड़ा सम्मान-उनकी देखभाल करना जिन्होंने कभी हमारी देखभाल की थी

एक दिन एक बेटा अपने बूढ़े पिता को रेस्टोरेंट में डिनर के लिए लेकर गया। पिता इतने बूढ़े थे कि खाना खाते समय खाना उनके कपड़ों पर गिर रहा रहा था। रेस्टोरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग उसके बुजुर्ग...

सक्सेस मंत्र: सबसे बड़ा सम्मान-उनकी देखभाल करना जिन्होंने कभी हमारी देखभाल की थी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Mon, 11 Sep 2017 10:20 PM
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एक दिन एक बेटा अपने बूढ़े पिता को रेस्टोरेंट में डिनर के लिए लेकर गया। पिता इतने बूढ़े थे कि खाना खाते समय खाना उनके कपड़ों पर गिर रहा रहा था। रेस्टोरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग उसके बुजुर्ग पिता को घृणा की नजरों से देख रहे थे। लेकिन बेटा शांत था। जैसे ही पिता ने डिनर खत्म किया बेटे ने बिना हिचकिचाते हुए उनके कपड़ों से गिरे हुए खाने को हटाया, उनके बाल सही किए और चश्मा सही से लगाया। रेस्ट्रोरेंट में बैठे सभी लोग उसे देख रहे थे।

इसके बाद बेटे ने बिल दिया और अपने बूढ़े पिता के साथ बाहर जाने लगा। दोनों बाहर जा ही रहे थे कि एक बुजुर्ग शख्स ने उनके पास जाकर कहा, बेटा तुम पीछे कुछ छोड़ आए हो। बेटे ने कहा, नहीं मैंने पीछे कुछ नहीं छोड़ा। बुजुर्ग ने कहा कि तुम बेटों के लिए एक सीख और हर पिता के लिए एक उम्मीद छोड़कर जा रहे हो। 

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