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क्या आप भी तैयार हैं दूसरों की मदद के लिए?

अस्पताल में खड़े एक सिपाही का हाथ पकड़कर नर्स ने उसे उसके पिता के पास बेड तक पहुंचाया।  मरीज के पास जाकर नर्स ने उनके कान में कहा, 'आपका बेटा आ गया उठ जाइए, उसने कई बार अपनी बात...

क्या आप भी तैयार हैं दूसरों की मदद के लिए?
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Sun, 17 Sep 2017 11:03 PM
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अस्पताल में खड़े एक सिपाही का हाथ पकड़कर नर्स ने उसे उसके पिता के पास बेड तक पहुंचाया।  मरीज के पास जाकर नर्स ने उनके कान में कहा, 'आपका बेटा आ गया उठ जाइए, उसने कई बार अपनी बात दोहराई लेकिन हार्ट अटैक के दर्द के कारण वो आंख नहीं खोल पा रहे थे। उन्होंने हल्की सी बेहोशी में ही बेटे का हाथ कसकर पकड़ लिया। इसके बाद बेटे ने पिता के कान में कुछ कहा और उनका हाथ कसकर पकड़ लिया। नर्स भी सिपाही के लिए एक कुर्सी ले आई ताकि वो उनके पास बैठा रहे।

सिपाही पूरी रात पिता का हाथ पकड़ कर बैठा रहा और उन्हें हिम्मत देता। नर्स ने कई बार सिपाही से कहा कि वह घर जाकर आराम कर ले लेकिन वो नहीं माना और रात भर कुर्सी पर पिता का हाथ पकड़कर बैठा रहा। उस छोटे से कमरे की कम रोशनी, हॉस्पिटल स्टाफ का शोर, मरीजों के दर्द की आवाजों को सुनकर उसने उफ्फ तक नहीं की। दो रातें इसी तरह गुजर गईं और अगली सुबह वह बूढ़ा आदमी मर गया। नर्स सांत्वना देने सिपाही के पास आई, लेकिन सिपाही का सवाल सुनकर चौंक गई। 

सिपाही ने नर्स से पूछा, 'कौन थे ये बुजर्ग? नर्स आश्चर्य चकित थी और बोली वो तुम्हारे पिता थे। तब सिपाही ने कहा ,'मैं नहीं जानता उन्हें, मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। नर्स ने कहा, 'तब आपने अभी तक कुछ बोला क्यों नहीं? सिपाही ने कहा, मैं जानता था कि मैं गलती कर रहा हूं लेकिन उस समय उन्हें मेरी जरूरत थी और वो इस हालत में नहीं थे कि मैं उन्हें बता पाता कि उनका बेटा यहां नहीं है। इसलिए जब भी किसी को तुम्हारी जरूरत हो तो उसकी मदद जरूर करना।  

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