हमारे प्रयासों में ही छिपा है समस्याओं का हल
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी, जिसमें फसल उगाकर वह परिवार का जैसे तैसे गुजारा कर पाता था। गरीबी की हालत में वह भविष्य को लेकर हमेशा परेशान रहता था। एक समस्या दूर नहीं होती...
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी, जिसमें फसल उगाकर वह परिवार का जैसे तैसे गुजारा कर पाता था। गरीबी की हालत में वह भविष्य को लेकर हमेशा परेशान रहता था। एक समस्या दूर नहीं होती कि दूसरी सामने आ जाती।
एक दिन गांव में एक साधु आए। सभी गांव वाले उनके पास पहुंचे तो किसान भी समस्याओं का हल तलाशने उनके पास पहुंच गया। उसने साधु से मिलकर सारी बात बताईं तो साधु ने कहा कि तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें सारी परेशानियों का हल बता दूंगा। यह कहकर साधु उसे नदी के किनारे ले गए। नदी के किनारे पर खड़े होकर साधु ने कहा कि नदी के उस पार जाकर मैं तुम्हें सभी परेशानियों का हल बता दूंगा।
नदी के किनारे काफी देर हो गई तो किसान ने सोचा कि शायद उस पार से कोई लेने आने वाला है। घंटों बीत गए लेकिन कोई नहीं आया।
आखिरकार किसान ने पूछ लिया कि हम यहां क्यों रुके हैं। इस पर साधु ने कहा कि मैं इस नदी के सूखने का इंतजार कर रहा हूं। जब पानी सूख जाएगा तब हम नदी पार करेंगे और तुम्हें सारी परेशानियों का हल बता दूंगा। किसान बोला कि नदी का पानी ऐसे कैसे सूख जाएगा। इस पर साधु ने कहा कि ये जीवन भी एक नदी की तरह है और पानी, समस्या की तरह। जब तुम्हें पता है कि नदी का पानी नहीं सूखेगा तो तुम स्वयं प्रयास कर नदी पार क्यों नहीं करते हो। समस्याओं को दूर करने के लिए स्वयं ही प्रयास करने होंगे। अगर नदी के किनारे बैठे रहोगे तो कभी समस्याओं का हल नहीं पा सकोगे।