Shani jayanti 2017: शनि जयंती पर शाम को ही कर लें ये उपाय
शनि भगवान के जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है शनि जयंती।
शनि जयंती 2017
शनि भगवान के जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है शनि जयंती। कहा जाता है कि शनि आपके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि की दृष्टि से भी जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव आते हैं। पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ कृष्ण अमावस को हुआ था। शनि भगवान को कर्मों के देवता माना जाता है। कहा जाता है कि शनि भगवान हमारे कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। अगर हमारे कर्म अच्छे होंगे तो शनि भगवान हमें अच्छा फल देंगे। लेकिन अगर हमारें कर्म अच्छे नहीं होंगे तो फल भी अच्छे नहीं मिलेंगे। शनि अमावस के बारे में माना जाता है कि वर्षभर में जो अमावस सिर्फ शनिवार को होती है, उसे शनि अमावस का योग कहते हैं। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा ने बताया कि शनि जयंती पर आप अमृत के चौघड़िया में सायं 04:30 बजे रात्रि 09:00 बजे तक शुभ, अमृत, चर के चौघड़िया मुर्हुत में भी पूजा अर्चना कर सकते हैं।
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शाम को कर लें ये उपाय
शनिवार के दिन कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।
शनिवार के दिन काले रंग के पशुओं को रोटी खिलायें।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दिया जलायें, दिया जलाकर उसमें काले उड़द के तीन दाने डालें, इससे सभी कार्य पूर्ण होंगे।
शनिवार के दिन सिंदूर और चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमानजी को लाल लंगोट अर्पित करें।
शनिवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में एक नारियल पर स्वास्तिक बनाकर हनुमानजी को अर्पण करें। साथ ही हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
शनिवार या मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर और तेल का चोला चढ़ायें। - शनिवार के दिन हनुमान जी के सम्मुख रात्रि में चौमुखा दीपक जलाये।
शनिवार को प्रात:काल किसी पीपल के पेड़ को जल चढ़ाये और सात परिक्रमा करें। इसके बाद पीपल के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय को करने से शनि व मंगल दोनों के दोष दूर होते हैं।