शनि होंगे वक्री, आप पर होगा ये प्रभाव
शनिदेव 21 जून 2017 को रात्रि 01.36 पर धनु से वक्री होकर वृश्चिक राशि में आएगे और फिर लगभग 4 माह बाद 26 अक्टूबर 2017 को पुन: धनु राशि में आ जाएगे। जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, अंतर्दशा या...
शनिदेव 21 जून 2017 को रात्रि 01.36 पर धनु से वक्री होकर वृश्चिक राशि में आएगे और फिर लगभग 4 माह बाद 26 अक्टूबर 2017 को पुन: धनु राशि में आ जाएगे। जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, अंतर्दशा या महादशा चल रही है। उनके जीवन मे इस परिवर्तन का काफी प्रभाव होगा।
न्यायप्रिय हैं शनि
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः....शनि देव सभी लोकों के न्यायाधीश व बिना किसी भेद भाव अच्छे-बुरे कर्मों का दंड देते हैं। शनिदेव सूर्य व छाया पुत्र, भाई मनु, यमराज एवं यमुनाजी बहन हैं। सरसो के तेल में अपनी परछाई देखकर शनिवार को दान करने से जन्मपत्री मे शनि अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं।
तुला राशि पर शुरू होगी साढ़ेसाती
शनि के वृश्चिक राशि में वक्री होते ही तुला राशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी, जबकि वृश्चिक और धनु राशि पर साढ़ेसाती यथावत् चलती रहेगी। वहीं इस दौरान मकर राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्त हो जाएंगे। कन्या और वृष राशि से शनि की ढैया उतरकर सिंह और मेष राशि पर प्रारंभ होगी।
व्यापार-नौकरी में मिलेगी सफलता
जन्मपत्री में शनि वक्री हो तो गोचर में शनि के वक्री होने पर अशुभ शनि के प्रभाव से व्यक्ति को राहत मिलती है। उन्हे वक्री शनि तनाव और संघर्ष से मुक्ति देकर व्यापार नौकरी मे सफलता देता हैं।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)