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इस दिन नाग देवता ने धारण किया था पृथ्वी का भार, श्रीकृष्ण ने किया था कालिया नाग को परास्त 

सावन माह में शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि श्रावण मास की पंचमी को नाग, भगवान ब्रह्मा से मिलने गए थे तथा उस दिन नागों को श्राप से मुक्ति मिली थी। उसी दिन से...

इस दिन नाग देवता ने धारण किया था पृथ्वी का भार, श्रीकृष्ण ने किया था कालिया नाग को परास्त 
लाइव हिन्दुस्तान टीम  ,meerut Tue, 25 Jul 2017 01:23 PM
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सावन माह में शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि श्रावण मास की पंचमी को नाग, भगवान ब्रह्मा से मिलने गए थे तथा उस दिन नागों को श्राप से मुक्ति मिली थी। उसी दिन से नागों के पूजन की परंपरा आरंभ हुई। माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने शेषनाग को अलंकृत किया और पृथ्वी का भार धारण करने पर नाग देवता का लोगों ने पूजन किया, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। 
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष पंचमी को भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को परास्त किया। उन्होंने कालिया नाग के फन पर नृत्य किया और माना जाता है कि तभी से नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है। वासुकि नाग को समुद्र मंथन में रस्सी के रूप में प्रयुक्त किया गया था। भगवान शिव ने नागों को अपने गले में धारण किया और भगवान विष्णु ने शेष-शयन किया। 

हमारे कृषि प्रधान देश में माना जाता है कि सांप खेतों का रक्षण करते हैं। इन्हें क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। वर्षा ऋतु में जब बिलों में पानी भर जाता है तो विवश होकर सांपों को बाहर आना पड़ता है। नागपंचमी के दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए। इस दिन घर के दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। मान्यता है कि अगर किसी के घर में किसी सदस्य की मृत्यु सांप के काटने से हुई हो तो उसे 12 महीने तक पंचमी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से कुल में कभी सांप का भय नहीं रहता है। पंचमी को भूमि नहीं खोदनी चाहिए। 

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैंजिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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