सक्सेस मंत्र: ईश्वर से कभी न पूछो, मैं ही क्यों?
महान टेनिस खिलाड़ी आर्थर रॉबर्ट ऐश अंतरराष्ट्रीय टेनिस में सर्वोच्च स्तर पर खेलने वाले प्रथम अफ्रीकी अमेरिकन खिलाड़ी थे। दुनियाभर में उनके प्रशंसक थे। एक बार बीमार होने पर डॉक्टर ने उन्हें एड्स...
महान टेनिस खिलाड़ी आर्थर रॉबर्ट ऐश अंतरराष्ट्रीय टेनिस में सर्वोच्च स्तर पर खेलने वाले प्रथम अफ्रीकी अमेरिकन खिलाड़ी थे। दुनियाभर में उनके प्रशंसक थे। एक बार बीमार होने पर डॉक्टर ने उन्हें एड्स संक्रमित रक्त चढ़ा दिया। इससे वह एड्स पीड़ित हो गए। इसका पता लगने पर उनके प्रशंसकों में मायूसी छा गई। दुनियाभर में प्रशंसकों ने उनके सेहतमंद होने के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित कीं।
रोजाना ही उनके पास उनके प्रशंसकों के ढेरों पत्र आते। आर्थर रॉबर्ट ऐश उन सभी पत्रों को पढ़ते और उनका जवाब भी देते। एक दिन उनके पास एक पत्र आया। पत्र में उनके प्रशंसक ने पूछा कि इस लाइलाज बीमारी के लिए भगवान ने आपको ही क्यों चुना। इस पत्र को पढ़ने के बाद आर्थर ने इसका जवाब लिखा। उनके जवाब ने पत्र लिखने वाले की अंतरआत्मा को झकझोर दिया।
उन्होंने लिखा कि पूरे विश्व में करोड़ों बच्चे टेनिस खेलना चाहते हैं। उनमें से लाखों बच्चे टेनिस खेलना शुरू कर पाते हैं। कुछ लाख बच्चे पेशेवर टेनिस खिलाड़ी बनते हैं और इनमें से हजारों खिलाड़ी महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में खेल पाते हैं। इनमें से कुछ खिलाड़ी ग्रैंडस्लैम में और इनमें से भी कुछ विंबलडन में खेल पाते हैं। सेमीफाइनल में चार खिलाड़ी पहुंचते हैं और फाइनल में सिर्फ दो खिलाड़ी पहुंच पाते हैं। इतने खिलाड़ियों के बीच में से विजेता सिर्फ एक ही होता है।
जब विंबलडन ट्रॉफी जीतने के बाद मैंने कभी ईश्वर से नहीं पूछा कि 'मैं ही क्यों?' तो आज इस बीमारी के समय भी मुझे नहीं पूछना चाहिए कि 'मैं ही क्यों ? ऐसी सकारात्मक सोच रखने वाले महान खिलाड़ी आर्थर रॉबर्ट ऐश ने इस लाइलाज बीमारी से अंत तक जिंदगी की जंग लड़ी।