नवरात्र सप्तमी: मां काली की कृपा पाने के लिए ध्यान रखें ये बातें
शारदीय नवरात्र की बुधवार को सप्तमी है। सप्तमी मां चंडिका को समर्पित है। भगवती काली का आशीर्वाद सभी को चाहिए। भगवती कहती हैं .. मैं ही पूरी सृष्टि को संचालित करती हूं। मेरे से पृथक कोई नहीं है।
तो इसलिए काली पड़ा देवी मां का नाम
शारदीय नवरात्र की बुधवार को सप्तमी है। सप्तमी मां चंडिका को समर्पित है। भगवती काली का आशीर्वाद सभी को चाहिए। भगवती कहती हैं .. मैं ही पूरी सृष्टि को संचालित करती हूं। मेरे से पृथक कोई नहीं है। महिषासुर मर्दिनी, चंड-मुंड विनाशिनी और शुम्भ-निशुंभ का संहार करने वाली सप्तमी अधिष्टात्री मां काली सभी प्राणियों में अभय, जीवन और मोक्ष प्रदान करती है।
क्यों हैं काली
भगवान शंकर ने एक बार देवी जी को विनोद में काली कह दिया। गौरवर्णा देवी तभी से काली नाम से ख्यात हो गईं। इसका दूसरा अर्थ भी है। काली काले रंग का प्रतीक है। दो तरह की ऊर्जा होती हैं। एक सकारात्मक और एक नकारात्मक। दो ही मुख्य रंग होते हैं। एक काला और एक सफेद। मानवीय प्रकृति, प्रवृत्ति, रूप रंग भी काला सफेद होता है। देवी भगवती नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती हैं। सभी प्राणियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। कलयति भक्षयति प्रलयकाले सर्वम् इति काली अर्थात जो प्रलयकाल में संपूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है, वह काली है।
जो आपको अप्रिय वो देवी को प्रिय
मनुष्य जिन-जिन चीजों से पीछे भागता है, देवी चंडिका उनको आत्मसात करती हैं। कोई नरमुंड की माला नहीं पहनता, वह देवीको प्रिय हैं। श्मशान भी उऩको प्रिय है क्यों कि अंततोगत्वा सभी की गति वहीं है। जो वस्त्र देवी को पसंद हैं वो सामान्यता हम पहनते नहीं। अर्थात, शिवदूती मां चंडिका संदेश देती हैं कि सभी कुछ मुझमें हैं और मैं सबमें हूं। भगवान शंकर मोक्ष के देव हैं तो मोक्षदायिनी भगवती चंडिका हैं। काली हैं।
अगली स्लाइड में वीडियो में सुनें पूजा विधि-
सप्तमी को क्या करें
नवरात्र की सप्तमी को काली जी का विशेष पर्व है। काली जी की आराधना से हम अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। उनका आशीर्वाद ग्रहण कर सकते हैं। श्री दुर्गा सप्तशती में अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी है। यहां हम कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनके करने से आप काली जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं..
एक देवी अनेक रूप
ऊं जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
( जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके, तुम्हे मेरा नमस्कार है। )
इसमें देवी के कई नाम आए हैं।
जयंती जो विजय प्रदान करे, मंगला जो मंगल करे, काली जो कल्याण करे, भद्र जो अपने भक्तों भद्रकाली सुख प्रदान करे, कपालिनी जिनके हाथ में कपाल है, दुर्गा यानी आपके दुर्भाग्य को हरे और असाध्य कार्यों को साध्य करे, क्षमा जो आपके अपराधों को क्षमा करे, शिवा अर्थात जो शिव के साथ आपके जीवन-मरण में कल्याण करे, धात्री अर्थात समस्त प्रपंच को धारण करे, स्वाह जो यज्ञ में स्वयं उपस्थित हो और स्वधा अर्थात श्राद्ध, अंतिम संस्कार और तर्पण में पितरों का पोषण करे)। इसलिए मंगलमयी सभी यज्ञ में स्वाह और आत्मा के परमात्मा में विलीन होने के बाद स्वधा बोलने की व्यवस्था है।
अर्गला स्तोत्र अनुष्ठान
सप्तमी की पूजा में अर्गला स्तोत्र का पाठ करें। इसके कुछ अनुष्ठानिक उपाय इस प्रकार हैं..
1. अर्गला स्तोत्र का सप्तमी के दिन कम से कम तीन या सात बार पाठ करें।
2. एक बार अर्गला स्तोत्र और एक बार सिद्धकुंजिका पढ़ें तो बहुत अच्छा
3. पाठ से पहले संकल्प कर लें कि आप कितनी बार पढ़ेंगे
4. देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ( 12 वां श्लोक) का सात बार जाप करें। हर जाप पर काले तिल अपने ऊपर से उतारते रहें। फिर इन तिलों को या तो यज्ञ में छोड़ दें या एक जगह कर लें और किसी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ दें।
5. यदि शत्रुओं से परेशान हैं तो अर्गला स्तोत्र का 13 वां मंत्र ( विधेहि द्विषतां नाशं..) सात बार पढ़ें।
6. समस्त कल्याण के लिए अर्गला स्तोत्र का 14 वां मंत्र ( विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम) पांच बार पढ़ें।
7. विद्या, धन, यश प्राप्ति के लिए अर्गला स्तोत्र का 16 वां मंत्र पढ़ें। देवी को खीर का प्रशाद चढाएं। इससे पहले शंकर जी का ध्यान अवश्य करें।
ऐसे करें मां काली की पूजा
पूजा विधि:
1. काली जी के लिए सरसो या तिल के तेल का दीपक जलाएं ( यदि अखंड ज्योत जल रही हो तो ठीक है अन्यथा सप्तमी पर अखंड ज्योति जलाएं। यह ज्योति सप्तमी से प्रारम्भ होकर नवरात्र पराय़ण तक जलती रहेगी। इसका ध्यान रखें।
2. देवी जी की पूजा के लिए आप रात को किसी समय मौन भी ले सकते हैं। मन ही मन देवी का कोई भी मंत्र पढ़ते रहिए। यह व्य़ाधियों को हरेगा।
3. किसी भी प्रकार की तांत्रिक क्रिया न करें। सात्विक और मानसिक पूजा ही आपको सभी प्रकार के फल प्रदान करेगी।
4. सप्तमी के दिन सप्तश्लोकी दुर्गा, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलकम्, सातवां अध्याय, देवी सूक्तम, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। अर्थात, सात अध्यायों की आपको श्रृंखला बनानी है।
5. क्षमा प्रार्थना करने के बाद हाथ में लाल पुष्प रखें और दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला पढ़ें।
सप्तमी को मंदिर में रख आइये, ये सात चीजें
1. नारियल लाल चुनरी में बंधा
2. काले तिल
3. सात जोडे लोंग
4. सात सुपारी
5. सात कमलगट्टे
6. मीठा पान ( वर्क लगा)
7. अनार
(इन सभी चीजों को सवा मीटर काले कपड़े में करके देवी चंडिका को समर्पित कर आएं। किसी भी प्रकार का संकट हो, हरेक का समाधान हो जाएगा। मां काली की कृपा बनेगी।)