नवरात्रि: नहीं होगी पैसों की कमी अगर करेंगे इस उम्र की कन्या की पूजा
नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गों के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान मां के कई भक्त व्रत रखते हैं और मां को खुश करने का प्रयास करते हैं।
नवरात्रि: नहीं होगी पैसों की कमी अगर करेंगे इस उम्र की कन्या की पूजा
नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान मां के कई भक्त व्रत रखते हैं और मां को खुश करने का प्रयास करते हैं।
नवरात्रि खत्म होने से पहले अष्टमी या नवमी को कन्याओं को भोजन कराया जाता है। मान्यता है कि कन्याएं मां दुर्गा का साक्षात रूप होती हैं। कन्याओं को भोजन कराने के बाद और मां का प्रसाद ग्रहण करके ही व्रत खोला जाता है।
ये भी पढ़ें: नवरात्रि: पाक के इस मंदिर में होती है रामलीला, मुस्लिम भी करते हैं दर्शन
मान्यता है कि नवरात्रि में दो से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन करना चाहिए। इससे कई तरह के विशेष फायदे मिलते हैं। अगली स्लाइड में जानें, किस उम्र की कन्या का पूजन करना चाहिए और उससे क्या फायदे होते हैं।
दो वर्ष
नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को दो वर्ष की कन्याओं को यदि भोजन कराया जाए और पूजा की जाए तो कई तरह के फायदे मिलते हैं। दो साल की कन्याओं को कौमारी कहा जाता है। ऐसे में इनके पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है। अगली स्लाइड में जानें, किस उम्र की कन्या की पूजा करने से होती है धन की प्राप्ति...
ये भी पढ़ें: नवरात्र Video: इस वजह से मां दुर्गा के तीसरे रूप का नाम पड़ा 'चंद्रघंटा', करती हैं आसुरिक शक्तियों का विनाश
तीन वर्ष
तीन वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से कभी धन में कमी नहीं आती है। मान्यता है कि यदि तीन वर्ष की कन्या का पूजन किया जाए तो इससे परिवार में खुशहाली मिलती है। तीन साल की कन्याओं को त्रिमूर्ति कहा जाता है।
चार वर्ष
चार साल की कन्याओं को कल्याणी कहा जाता है। इनकी पूजा अर्चना करने से सुख और खुशहाली मिलती है।
पांच वर्ष
यदि कोई व्यक्ति बीमारी से जूझ रहा हो तो उसे कन्याओं के पूजन में पांच वर्ष की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। मान्यता है कि इससे व्यक्ति रोग मुक्त होता है। पांच साल की कन्याओं को रोहिणी कहा जाता है।
छह वर्ष
छह वर्ष की कन्याओं को कालिका कहते हैं। यदि इनकी पूजन की जाए तो इससे दुश्मनों का नाश होता है।
सात वर्ष
सात साल की कन्याएं चण्डिका मानी जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन के दौरान इस उम्र की कन्याओं को शामिल करने से एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष
आठ साल की कन्याओं को साम्भवी कहा जाता है। इससे दरिद्रता का नाश होता है और दुख दूर होते हैं।
नौ वर्ष
नौ साल की कन्याओं को साक्षात् मां दुर्गा का रूप माना जाता है इसलिए ही इन्हें दुर्गा कहते हैं। मान्यता है कि यदि नौ साल की कन्याओं की पूजा की जाए तो इससे कठिन कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं।