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नवरात्र 2017: नवरात्र में कलश स्थापना कर रहे हैं तो इन कामों से बचें, मानें ये वास्तु नियम भी

नवरात्रि में घर के मंदिर में स्थापित कलश से वास्तु संबंधी दोष भी दूर किए जा सकते हैं। जानकार नवर

Madanनोएडा। कार्यालय संवाददाताWed, 20 Sep 2017 03:41 PM

नवरात्रि 2017: इस दिशा में स्थापित करें कलश, इन बातों का रखें ध्यान

नवरात्रि 2017: इस दिशा में स्थापित करें कलश, इन बातों का रखें ध्यान1 / 5

नवरात्रि में घर के मंदिर में स्थापित कलश से वास्तु संबंधी दोष भी दूर किए जा सकते हैं। जानकार नवरात्रि में कलश स्थापना को तंत्र शास्त्र से भी जोड़कर देखते हैं। उनका दावा है कलश स्थापना से पूरे नवरात्रि भर सात तरह की ऊर्जा कलश के आस-पास विद्यमान होती है। सही दिशा में कलश स्थापना से इस ऊर्जा को वास्तुदोष खत्म करने सहित अन्य बाधाओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। 

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तंत्राचार्य कुलदीप दैवक के अनुसार तंत्रशास्त्र, देवी महापुराण व स्कंद पुराण में कलश का महत्व विस्तार से बताया गया है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गंगा एक साथ विद्यमान रहते हैं। इसे स्थापित करते समय सात तरह के अनाज भी रखे जाते हैं। सही दिशा में स्थापित कलश से तमाम दैविक उपाय भी घर में खुशियां लाने के लिए किए जा सकते हैं। 

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81 दिन का होगा लाभ

यदि मकान का उत्तर पूर्व का कोना टेढ़ा र्है या कटा हुआ है तो माना जाता है कि इससे घर में वास्तुदोष आता है। इस तरह के वास्तु दोष से परिवार के सदस्य तनाव से ग्रसित रहते हैं। किसी भी तरह का काम करने में बाधाएं खड़ी हो जाती हैं। ऐसे में नवरात्रि पर यदि उत्तर पूर्व में कलश की स्थापना की जाए तो लगभग 81 दिन का वास्तुदोष दूर हो जाता है। 

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इस तरह से बीमारियां होंगी दूर

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दक्षिण पूर्व कोना यदि घर का बढ़ा हुआ है तो दक्षिण पूर्व के भाग में कलश स्थापना करना चाहिए। इसके साथ ही पूजन इस तरह से करे कि पूजन करने वालों का मुख पूर्व दिशा की ओर हो। इससे दक्षिण पूर्व के वास्तु दोष दूर होंगे। इस तरह का उपाय करने से घर में आने वाली बीमारियां व संपत्ति के विवाद दूर होंगे। 

नौकरी या परिवार में विवाद होगा दूर

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दक्षिण पश्चिम में बढ़े हुए भाग का वास्तुदोष दूर करने के लिए कलश की स्थापना की तरह से करें कि पूजन करने वाले का मुख उत्तर की ओर हो। इससे नौकरी व परिवार के सदस्यों के बीच तनाव व बाधाएं दूर होंगी। 

नहीं रुक रहा पैसा

मकान का उत्तर पश्चिम हिस्सा बढ़ा हुआ या कटा हुआ है तो पूर्व की ओर कलश स्थापित कर उसी ओर मुख कर पूजन करना चाहिए। इससे आय में आ रहीं बाधाएं दूर होंगी। घर का अनावश्यक खर्च कम होगा।  

इनका भी रखें ख्याल

इनका भी रखें ख्याल4 / 5

कलश पर मौली जरूर बांधना चाहिए, इससे पूजन का संकल्प हासिल होता है
मिट्टी का कलश स्थापित करने से घर में खर्च कम हो जाता है
कलश में अशोक के बजाए आम के पत्ते जरूर रखना चाहिए, इससे शक्तियां आकर्षित होती हैं
कलश स्थापना से पहले बनने वाले स्वास्तिक में चावल यानि अक्षत को प्रयोग जरूर करें, इससे संपत्ति संबंधी विवाद या समस्या दूर होती है
स्वास्तिक के बाद मां दुर्गा का त्रिशूल जरूर बनाना चाहिए, इससे कार्यक्षेत्र में विरोधी हावी नहीं होते हैं

इन कार्यों से बचना चाहिए

कलश स्थापना के समय महिलाएं गीले कपड़े व खुले बाल न रखने से बचें
ध्यान दे कि कलश कहीं से टूटा या चिटका हुआ नहीं होना चाहिए
कलश के आस-पास कभी तिल का प्रयोग न करें
कलश के पास बुझा हुआ दीपक कभी न रखें
कलश में चटका हुआ नारियल कभी नहीं रखना चाहिए

हर युग में कलश महत्वपूर्ण

 हर युग में कलश महत्वपूर्ण5 / 5

भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को अक्षय पात्र के रूप में अक्षय कलश सौंपा था
भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय अमृत कलश का प्रयोग किया था
शास्त्रों के अनुसार शिव का अभिषेक कलश से किया जाना अनिवार्य बताया गया है
सीता मां का अवतरण कलश से ही माना जाता है
शास्त्रों में मां दुर्गा का वास कलश में माना गया है