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इस तरह नवरात्र की पूजा को बनाएं फलदायी

नवरात्रि पर किया गया पूजन-पाठ मनोवांछित फल की प्राप्ति कराने वाला होता है। बस आवश्‍यकता है शुद्ध आचार-व्यवाहर, सही विधि और पूजा के लिए सही स्थान का चयन करने की। वास्तुशास़्त्र में पूजा के...

इस तरह नवरात्र की पूजा को बनाएं फलदायी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 22 Sep 2017 01:26 PM
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नवरात्रि पर किया गया पूजन-पाठ मनोवांछित फल की प्राप्ति कराने वाला होता है। बस आवश्‍यकता है शुद्ध आचार-व्यवाहर, सही विधि और पूजा के लिए सही स्थान का चयन करने की। वास्तुशास़्त्र में पूजा के लिए कई आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। क्‍या है नवरात्र पूजन की सही विधि वास्तु एक्सपर्ट नरेश सिंघल से आइए जानते हैं।

• शुरुआत करते हैं पूजा के स्थान से। ज्यादातर घरों में पूजा-स्थल होता ही है, लेकिन जिन घरों में पूजा स्थल नहीं होता, वे भी त्यौहारों पर विधि-विधान संपन्न करने हेतु अस्थायी पूजा-स्थल बनाते हैं। पूजा स्थल के लिए सर्वोत्तम स्थान इशान अर्थात उत्तर व पूर्व का समागम कोण है। इशान को इश-प्रतिमा या वेदी की स्थापना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इशान में पूजा स्थल की स्थापना अगर संभव न हो तो इसे उत्तर या पूर्व में बनाएं।
• जिस कक्ष में पूजा-स्थल बना हो, वहां सूर्य की रोशनी एवं ताजा हवा का समुचित प्रबंध हो।
• पूजा  कक्ष में मृतकों, पूर्वजों आदि के चित्र न रखें। पूर्वजों के चित्र आप दक्षिण की दीवार पर लगा सकते हैं।
• आजकल घर में बड़ी-बड़ी ईश-प्रतिमाओें की स्थापना करने लगे हैं। वास्तु के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए। अंगूठे के एक पर्व से लेकर एक बलिस्त तक की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए।
• पूजा स्थल की साफ-सफाई, देव प्रतिमा का प्रच्छाल/नवन करना अभिगमन कहलाता है। पूजन के लिए सामग्री जैसे- फल-फूल, चंदन, धूप-अगरबत्ती, सुपारी, रोली, बिल्व पत्र आदि जुटाने को उपादान कहते हैं। अपने ईष्ट के ध्यान व स्मरण को योग तथा पाठ, जप, मंत्रोच्चार, शास्त्राध्ययन को स्वाध्याय कहा जाता है। उपरोक्त सभी प्रकारों से विधि पूर्वक अपने ईष्ट का पूजन करना इज्‍या कहलाता है।
• बासी फूल, पत्ते व जल को पूजन में  इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गंगाजल और तुलसी बासी नहीं होते।
• भूमि पर गिरा हुआ फूल, जिसकी पंखुड़ियां टूटी हो ऐसा फूल, सूंघा हुआ फूल या आग में झुलसा हुआ फूल ईष्ट को अर्पित नहीं करना चाहिए।
• पूजन के दौरान ध्वनि का भी विषेष महत्व है। शंख व घंटानाद न सिर्फ देवों को प्रिय है, इससे वातावरण शुद्धि भी होती है।
• नवरात्र में आंशिक रूप से किया गया पूजन भी आपको शुभ फलदायक होता है।

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