दिवाली 2017ः घर पर इस वक्त करें मां लक्ष्मी की पूजा, व्यापारियों के लिए ये है शुभ समय
महालक्ष्मी इस बार व्यापार जगत पर विशेष कृपा बरसाएंगी। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर दिवाली पूजन के कई मुहूर्त हैं।
व्यावसायिक स्थलों पर पूजन मूहूर्त
महालक्ष्मी इस बार व्यापार जगत पर विशेष कृपा बरसाएंगी। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर दिवाली पूजन के कई मुहूर्त हैं। घरों पर दिवाली के पूजन का मुहूर्त बृहस्पतिवार को सायं 7.09 बजे से 9 बजे के बीच है। व्यापारियों, नेताओं, छात्रों, कलाकारों, सीए वर्ग के लिए दिवाली अधिक ही मंगलकारी होगी। यही संकेत महालक्ष्मी अपने आगमन के साथ दे रही हैं। जिन घरों में सवेरे हनुमान जी का रोठ चढ़ता है, वे साढ़े आठ बजे से 11 बजे तक कर सकते हैं।
व्यावसायिक स्थलों पर पूजन मूहूर्त
प्रात: 8.37 से 10.55 स्थिर लग्न ( वृश्चिक)
पूर्वाह्न-10.55 से 12.48 धनु लग्न
अपराह्न 2.47 से 4.14 सायं स्थिर लग्न ( कुंभ)
( दोपहर 1.30 से 2.45 के मध्य राहुकाल रहेगा। इस दौरान दिवाली पूजन न करें)
प्रतिष्ठान और खाता-बही पूजन का मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं नम:
व्यापारी वर्ग ये करें: व्यापार वृद्धि के लिये 5 कौडी 5 कमलगट्टे देवी को अर्पित करें। इनको अगली दिवाली तक रखा रहने दें।
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घर पर दिवाली पूजन 7.10 से 9 बजे तक
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत, पंडित आशुतोष त्रिवेदी, पंडित सुरेंद्र शर्मा, पंडित आनंद झा के अनुसार दिवाली पर किये जाने वाले पूजन के लिए स्थिर लग्न का सर्वाधिक महत्व है। स्थिर लग्न में पूजन से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं। धनु लग्न को भी दीवाली पूजन के लिए शुभ माना गया है धनु लग्न स्थिरलग्न तो नहीं है पर धर्म के कारक ग्रह बृहस्पति की राशि होनेसे धनु लग्न भी पूजन कार्य के लिए उत्तम है।
घर पर दिवाली पूजन 7.10 से 9 बजे तक
शाम 7.09 से 9 बजे स्थिर लग्न ( वृष)-श्रेष्ठ समय
वृष लग्न स्थिर लग्न पूजन के लिए श्रेष्ठ है। वृष लग्न के स्वामी शुक्र को ही धन, ऐश्वर्य, वैभव और समृद्धि का ग्रह माना गया है। लक्ष्मी जी शुक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं।
क्या करें: लक्ष्मी जी को अनार अवश्य चढाएं
पाठ करें: कनकधारा, देवी सूक्तम, श्रीसुक्त, श्रीलक्ष्मीसहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम
प्रदोषकाल की शुभ चौघड़िया
प्रदोषकाल में सायं 5.48 से 7.25 तक शुभ चौघड़िया मुहूर्त है। इसके बाद ही घर में दीप जलाएं, दीपमालिकाएं सजाएं और दीपदान करें
- पंडित केदारमुरारी
धन प्राप्ति मन्त्र
मोहनिश कालरात्रि
शाम- 7.11 से 11.06 बजे तक रात्रि ( दश महाविद्या पूजा)
महानिशीथकाल पूजा
रात को 11.40 से 12.31 तक ( सिद्ध साधना के लिए, काली पूजा)
धन प्राप्ति मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं श्रीं महालक्ष्मी नमः
विद्या प्राप्ति मन्त्र
ॐ ऐं
व्यापार वृद्धि
ॐ गं गं श्रीं श्रीं श्रीं मातृ नमः
दिवाली पूजन पर ये करें
-श्रीनारायण के साथ लक्ष्मी पूजन करें। लक्ष्मी जी का अकेले पूजन न करें
-सर्वप्रथम गुरु, गणेशजी, शंकर जी, श्रीनारायण, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी,काली जी, कुबेर का पूजन करें।
-फिर लक्ष्मी-गणेश जी का स्नान कराएं और दिवाली पूजन प्रारम्भ करें
-पूजन से पहले पीले अक्षत लेकर पूजन का संकल्प अवश्य करें
-लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से, सरस्वती जी का तुलसी या स्फटिक से,काली जी का रुद्गाक्ष की माला से करें।
-परिवार की सुख-शांति-समृद्धि के लिए मध्यरात्रि को
ऊं सौभाग्यप्रदायिनी, रोगहारिणी, कमलवासिनी, श्रीप्रदायिनी महालक्ष्मये नम: 11 बार अवश्य पढ़ें
- देवी को अनार और कमल पुष्प अर्पण करने से परिवार में प्रेम बढ़ता है।
-पूजन में 11 कौड़ी, 11 कमलगट्टे, मधु ( शहद) अवश्य रखें।
( व्यापारियों के लिए कौड़ी और कमलगट्टे की संख्या 5 है)