इस मंदिर में कोई नहीं कर सकता मां के दर्शन
देवभूमि उत्तराखंड में देवप्रयाग से 35 किलोमीटर दूर स्थित मां चन्द्रबदनी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मां भगवती का यह मंदिर श्रीनगर टिहरी मोटर मार्ग पर है। मान्यता है कि माता सती का कटि...
देवभूमि उत्तराखंड में देवप्रयाग से 35 किलोमीटर दूर स्थित मां चन्द्रबदनी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मां भगवती का यह मंदिर श्रीनगर टिहरी मोटर मार्ग पर है। मान्यता है कि माता सती का कटि भाग यहां स्थित चन्द्रकूट पर्वत पर गिरने से यहां सिद्धपीठ की स्थापना हुई। इसलिए यहां का नाम चन्द्रबदनी पड़ा। यहां माता की मूर्ति के दर्शन कोई नहीं कर सकता है। पुजारी भी आंखों पर पट्टी बांधकर मां चन्द्रबदनी को स्नान कराते हैं।
आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना की। मंदिर में देवी मां का श्रीयंत्र है। मंदिर के गर्भगृह पर एक शिला पर उत्कीर्ण इस श्रीयंत्र के ऊपर चांदी का बड़ा छत्र है। इस सिद्धपीठ में आने वाले श्रद्धालुओं को मां कभी खाली हाथ नहीं जाने देतीं। स्कंदपुराण, देवी भागवत एवं महाभारत में इस सिद्धपीठ का वर्णन है। प्राचीन ग्रंथों में यहां का उल्लेख भुवनेश्वरी सिद्धपीठ नाम से है। भक्त यहां सिर्फ श्रीयंत्र के ही दर्शन करते हैं। शक्तिपीठ के गर्भगृह में काले पत्थर के श्रीयंत्र के दर्शन करने तथा पूजा में प्रयुक्त शंख का पानी पीने का बड़ा महत्व माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।