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जानिए मां दुर्गा और स्त्री की समानता

 नवरात्र यानि माता दुर्गा की आराधना के विशेष दिन। वैसे तो मां हमेशा ही अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं लेकिन इन दिनों में भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। दुर्गा को...

जानिए मां दुर्गा और स्त्री की समानता
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठSat, 23 Sep 2017 03:56 AM
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 नवरात्र यानि माता दुर्गा की आराधना के विशेष दिन। वैसे तो मां हमेशा ही अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं लेकिन इन दिनों में भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। दुर्गा को त्रिनेत्र वाली माता भी कहा गया है।
 मां के नौ रूप हैं और हर रूप में मां के अलग ही दर्शन होते हैं। माना जाता है कि नवदुर्गा के ये रूप एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिंब हैं।

ये हैं नवदुर्गा के नौ रूप

1. शैलपुत्री : जन्म ग्रहण करती हुई कन्या को मां शैलपुत्री स्वरूप में माना गया है।  

2. ब्रह्मचारिणी: स्त्री को कौमार्य अवस्था तक मां ब्रह्मचारिणी का रूप में माना गया है।

3. चंद्रघंटा: विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा के रूप में देखी जाती हैं।

4. कूष्मांडा: नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह मां कूष्मांडा स्वरूप में भक्तों के बीच दर्शन देती है।

5. स्कन्दमाता: संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता का स्वरूप में आ जाती है।

6. कात्यायनी: संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी का रूप है।

7. कालरात्रि: अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह कालरात्रि जैसी है।

8. महागौरी: संसार (परिवार ही स्त्री के लिए संसार है) का उपकार और उद्धार करने से महागौरी रूप में देखी जाती है।

9. सिद्धिदात्री: धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली मां सिद्धिदात्री स्वरूप में मानी जाती है।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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