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सक्सेस मंत्र: श्रम से मिलने वाले आनंद का कोई और विकल्प नहीं

चांग हो महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस के विद्वान शिष्यों में गिने जाते थे। एक बार वह विश्व भ्रमण पर निकले। जब वह पड़ोसी देश ताइवान पहुंचे तो वहां गांव में उन्होंने एक विशाल हरे-भरे बगीचे में किसान को कुएं...

सक्सेस मंत्र: श्रम से मिलने वाले आनंद का कोई और विकल्प नहीं
लाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीWed, 31 May 2017 06:53 PM
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चांग हो महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस के विद्वान शिष्यों में गिने जाते थे। एक बार वह विश्व भ्रमण पर निकले। जब वह पड़ोसी देश ताइवान पहुंचे तो वहां गांव में उन्होंने एक विशाल हरे-भरे बगीचे में किसान को कुएं से पानी भरकर पेड़ों को सींचते देखा। उसके माथे से पसीना चू रहा था और सांस भी धौंकनी की तरह चल रही थी। उसके चेहरे से साफ था कि वह प्रसन्न है लेकिन चांग हो को उस पर दया आ गई। उन्होंने पास ही मौजूद एक वृक्ष का मोटा सा तना तोड़ा और उससे लकड़ी की घिर्री बनाकर किसान को दिया। फिर उन्होंने पानी पेड़ों तक पहुंचाने के लिए मोटे बांसों को काटकर उनकी नालियां बनी दीं।

इसके बाद वह किसान को बेहतर जीवन जीने का संदेश देकर वहां से निकल पड़े। चार साल बाद भ्रमण करते वह दोबारा वहां पहुंचे तो पाया कि पेड़ सूखे हैं और कुएं के पास भी कोई मौजूद नहीं है। वे किसान का पता पूछते हुए पास ही मौजूद झोपड़ी में गए तो देखा किसान वहीं मौजूद है। उसके चेहरे से श्रम का सौंदर्य गायब था। वह बीमार दिख रहा था और खाट पर पड़ा था। चांग हो ने अचरज से पूछा, ‘मैंने तो तुम्हें समय और मेहनत की बचत करने की राह सुझाई थी, पर तुम्हारी क्या हालत हो गई है।’ किसान की पत्नी ने तब कहा,‘महाशय, आपकी सुझाई राह से ही तो यह हालत हुई है, क्योंकि मेहनत कम होते ही यह आलस्य से घिर गए। अब यह बैठे-बैठे बेकार की बातें सोचते रहते हैं और बीमार रहते हैं।’

यह सुनकर चांग को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने जीवन की एक बड़ी सीख हासिल की। वह यह कि तंदरुस्ती और प्रसन्नता के लिए शारीरिक श्रम जरुरी है और श्रम से मिलने वाले आनंद का कोई और विकल्प नहीं है। 

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