रत्न शास्त्र : अगर आपको हैं ये बीमारियां तो भूलकर भी न पहनें पुखराज
रत्न धारण करने के लिए व्यक्ति की जन्मपत्री, हाथों की रेखा, उसकी जरुरत व शारीरिक बीमारी का सही निरीक्षण अतिआवश्यक है, क्योकि हर रत्न का सम्बन्ध किसी न किसी ज्योतिष ग्रह व खनिज से है। रत्न...
रत्न धारण करने के लिए व्यक्ति की जन्मपत्री, हाथों की रेखा, उसकी जरुरत व शारीरिक बीमारी का सही निरीक्षण अतिआवश्यक है, क्योकि हर रत्न का सम्बन्ध किसी न किसी ज्योतिष ग्रह व खनिज से है। रत्न धारण करने से उसके प्रतिनधि गृह (सूर्य, चंद्र, मंगल आदि) की शक्ति व सम्बंधित खनिज (कार्बन, बेरियम, अल्यूमीनियम, बेरिलियम आदि) की मात्रा शरीर मे बढ़ जाती है, इससे रत्न का विपरीत असर भी पड़ सकता है।
रत्न शास्त्री पंकज जैन (मोदीनगर) बताते हैं कि अधिकांश ज्योतिषी या रत्न विद्वान लड़की का विवाह न होने, लड़का न होने, पढाई व गुरु गृह के लिए पुखराज रत्न धारण करवा देते है लेकिन अनेक बार पुखराज रत्न व्यक्ति मे अपेंडिक्स, हार्निया, मोटापा, पीलिया, आंत मे इन्फेक्शन, गैस संबधित बीमारी व अहंकार मे वृद्धि कर परिवारिक, सामाजिक रिश्तो मे कड़वाहट ला देता है। इसलिए जरूरी है कि रत्न को धारण करते हुए पंत्री का अध्ययन अवश्य करवा लें ताकि आपकी विशिष्टताओं के अनुसार रत्न का चयन हो सके।
इनके लिए भी भारी पड़ सकता है पुखराज
पुखराज रत्न ब्रहस्पति गृह का रत्न है! कुंडली में गुरु गृह कमजोर होने पर यह धारण किया जाता है। कुछ ज्योतिषी, प्रशासनिक अधिकारियों, वकीलों, न्यायाधीशों, नेता, पढाई, अविवाहित स्त्री पुरुष व संतान के लिए भी इसे धारण करा देते है, परंतु यदि गुरु जन्मपत्री मे छठे, आठवें तथा 12वें भावों का स्वामी है या नीच/मारकेश है तो पुखराज धारण करने से परेशानी होती है। जैसे क़ानूनी परेशानी, संतान को कष्ट, शारीरिक परेशानी, वैवाहिक,घरेलू क्लेश। सही समय पर सही रत्न धारण करने से काफी लाभ होता है, लेकिन गलत रत्न धारण करने से जीवन मे विपत्ति बढ़ सकती है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)