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विश्वकर्मा जयंती: मानव नहीं देवता भी करते हैं विश्वकर्मा की पूजा

प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से भगवान विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न केवल मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित है। हमारे...

विश्वकर्मा जयंती: मानव नहीं देवता भी करते हैं विश्वकर्मा की पूजा
हिन्दुस्तान लाइव टीम,मुरादाबादFri, 15 Sep 2017 11:21 AM
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प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से भगवान विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न केवल मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित है। हमारे धर्मशास्त्रों और ग्रथों में विश्वकर्मा के पांच स्वरुपों और अवतारों का वर्णन है। विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा और भृंगुवंशी विश्वकर्मा।

इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को धूमधाम से मनाई जायेगी। इस दिन औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर, कम्प्यूट सेन्टर, हार्डवेयर दुकाने आदि में विश्वकर्मा भगवान की विधिवत पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर मशीनों, औजारों की सफाई एवं रंगरोगन किया जाता है। विश्वकर्मा जयन्ती वाले दिन अधिकतर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते है।

क्या है भगवान विश्वकर्मा की कथा 
सृष्टि की रंचना के प्रारम्भ में भगवान विष्णु क्षीर सागर में प्रकट हुए। विष्णु जी के नाभि-कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुये थे। ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम धर्म था, जिसका विवाह वस्तु नामक स्त्री से हुआ। धर्म और वस्तु के संसर्ग से सात पुत्र उत्पन्न हुए। सातवें पुत्र का नाम वास्तु रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला में पारंगत था। वास्तु के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया, जिन्होंने वास्तुकला में महारथ हासिल करके एक नयी मिशाल कायम की।

ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा
विश्वकर्मा पूजा के लिए व्यक्ति को प्रातः स्नान आदि करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजा करना चाहिए। पत्नी सहित यज्ञ के लिए पूजा स्थान पर बैठें। हाथ में फूल, अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का नाम लेते हुए घर में अक्षत छिड़कना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। पूजा स्थान पर कलश में जल तथा विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

विशेष महत्व है औजारों की पूजा का
विश्वकर्मा प्रतिमा पर फूल चढ़ने के बाद सभी औजारों की तिलक लगा के पूजा करनी चाहिए। अंत में हवन कर सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करना चाहिए। विश्वकर्मा पूजा के समय इस मंत्र का जाप करके अपनी मनोकमना की प्रार्थना करनी चाहिए ‘‘ऊॅ श्री श्रीष्टिनतया सर्वसिधहया विश्वकरमाया नमो नमः'' विश्वकर्मा पूजा विधिवत करने से जातक के घर में धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नही रहती है। भगवान विश्वकर्मा के प्रसन्न होने से व्यक्ति के व्यवसाय में वृद्धि होती है तथा इच्छित मनोकामना पूरी होती है।

 

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