सक्सेस मंत्र: अहंकार ही अपने विनाश की एक वजह है
बहुत समय पहले की बात है। एक मूर्तिकार काफी शानदार मूर्तियां बनाता था, जो सजीव लगती थीं। लेकिन उस मूर्तिकार को अपनी इस कला को लेकर बहुत घमंड हो गया था। इस काम को करते करते जब कई साल बीत गए और उसे जब...
बहुत समय पहले की बात है। एक मूर्तिकार काफी शानदार मूर्तियां बनाता था, जो सजीव लगती थीं। लेकिन उस मूर्तिकार को अपनी इस कला को लेकर बहुत घमंड हो गया था। इस काम को करते करते जब कई साल बीत गए और उसे जब लगा कि जल्दी ही उसक मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया। काफी सोचने के बाद वह यमदूतों को भ्रमित करने के लिये अपनी शक्ल की तरह पांच मूर्तियां बनाईं और उन मूर्तियों के बीच में जाकर बैठ गया।
यमदूत उसे लेने आए तो इतनी एक शक्ल की मूर्तियां देखकर दंग रह गए। वे सोचने लगे कि असल व्यक्ति कौन है इसमें। काफी देर तक सोचने के बाद उन्हें लगा कि यदि व्यक्ति की पहचान करने के लिए मूर्तियों को तोड़ दिया तो यह कला का अपमान होगा। काफी देर तक यमदूत सोचते रहे कि क्या किया जाए।
तभी यमदूत को एक बात सूझी। उन्होंने वहीं कहा कि एक त्रुटि हो गई है। काश मूर्तिकार मिलता तो मैं उसे बताता कि इसमें क्या गलती है। यह सुनकर मूर्तिकार खड़ा हो गया। उसे लगा कि उसकी बनाई मूर्ति में कैसे कौन गलती निकाल सकता है। उसके फौरन खड़े होते ही यमदूत ने उसे पकड़ लिया और अपने साथ ले गए।
नोट: यह सामग्री सोशल मीडिया से ली गई है।