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कांच के टुकड़े के समान है कृत्रिम हीरा

हीरे की ज्यादा कीमत के चलते आजकल कुछ लोभी लोग कृत्रिम हीरा तैयार करने लगे हैं। हालात यह है कि कृत्रिम हीरा आम प्रचलन में तो है ही, बाजार में अच्छी-खासी मात्रा में यह बिक भी रहा है। यह प्रचलन नया है,...

कांच के टुकड़े के समान है कृत्रिम हीरा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, मेरठ Thu, 21 Sep 2017 03:22 PM
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हीरे की ज्यादा कीमत के चलते आजकल कुछ लोभी लोग कृत्रिम हीरा तैयार करने लगे हैं। हालात यह है कि कृत्रिम हीरा आम प्रचलन में तो है ही, बाजार में अच्छी-खासी मात्रा में यह बिक भी रहा है। यह प्रचलन नया है, ऐसा नहीं है। प्राचीनकाल से ही नकली हीरे बनाने का प्रचलन रहा है।

गरुड़ पुराण में स्पष्ट किया गया है कि हीरे का मूल्य एवं सम्मान देखकर कुछ चालाक लोग नकली हीरे के निर्माण कार्य में लग गए। ऐसे लोग लोहा, पुखराज, गोमद, वैदूर्य, स्फटिक और कांच से कृत्रिम हीरे बना लेते हैं। इसलिए लोगों को इसकी परीक्षा ढंग से करनी चाहिए। अमूमन कृत्रिम हीरा चार तरह का होता है।
1. संश्लिष्ट
2. पुननिर्मित
3. अनुकृत
4. श्लिक

कहा जाता है कि व्यवसायिक दृष्टि से लाभदायक संश्लिष्ट हीरा अभी तक नहीं बनाया जा सका है लेकिन इस ओर वैज्ञानिक प्रयत्नशील हैं। इस तरह का एक प्रयास वर्ष 1955 में एक अमेरिकी कंपनी ने किया। उसने ग्रेफाइट के कणों से कृत्रिम हीरे का निर्माण किया। ऐसे हीरे अक्सर औद्योगिक हीरे के रूप में व्यवहार में लाए जाते हैं। रत्नीय हीरे के रूप में इनका कोई उपयोग नहीं है।

हीरे के उपरत्न
जो व्यक्ति हीरा नहीं खरीद सकते, उन्हें हीरे का उपरत्न पहनना चाहिए। इनकी कीमत हीरे की अपेक्षा कम होती है। इसलिए ये कम प्रभावशाली होते हैं। हीरे के उपरत्न हैं: सिम्मा, कुरंगी, दतला, कंसला और तंकू हीरा।

हीरे के विकल्प
जो लोग हीरा या उसके उपरत्न न खरीद सकें, उन्हें तीन रत्ती से अधिक वजन का सफेद पुखराज, जिरकॉन या सफेद तुरमली पहनना चाहिए। जो व्यक्ति इन्हें भी नहीं खरीद सकते, वे सफेद स्फटिक (बिल्लौर), कम से कम 5 रत्ती का, चांदी की अंगूठी में धारण कर सकता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 

 

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