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रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे

रमजान का महीना बड़ी बरकतों वाला है। इस महीने में अल्लाह तआला की तरफ से नेक बंदों के लिए रोजा एक खूबसूरत तोहफा है। जब रमजान का महीना आता है तो दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल...

रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे
Sat, 27 May 2017 03:54 AM
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इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है। इस पर अमल करने के लिए अल्लाह ने ही रमजान का मुबारक महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान का महीना बड़ी बरकतों वाला है। इस महीने में अल्लाह तआला की तरफ से नेक बंदों के लिए रोजा एक खूबसूरत तोहफा है। जब रमजान का महीना आता है तो दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। 

रमजान मुबारक का मुकद्दस माह इस्लामी कैंलेडर का नवां महीना है। हर साल इस माह में रोजे रखना मुसलमानों पर नाजिल फर्जों में से एक अहम फर्ज है। शनिवार को चांद के दीदार के साथ माह ए रमजान का आगाज हो जाएगा। पूरे माह हर बालिग और सेहतमंद मुसलमान पर रमजान मुबारक के रोजे रखना फर्ज करार दिया गया है। रमजान का यह पाक और नेकियों भरा माह इंसानी नफ्स को काबू करने की तालीम देता है। भूखे को भूख और प्यासे की प्यास जानने समझने की नसीहत देकर इंसानी फर्ज को याद दिलाता है।

यह महीना इंसान को इंसानियत का पैगाम देकर प्यार, मोहब्बत, भाईचारे और इंसान को इंसान के लिए मददगार बनने की राह दिखाता है। जानबूझकर रोजा तोड़ा जाए तो उसके लिए सजा भी है। ऐसे में रोजेदार को अगले 60 दिनों तक रोजा रखना होता है या फिर 60 गरीबों को खाना खिलाना होता है। अंजाने में रोजा टूटे तो उसकी माफी है। पूरे रमजान के दौरान रोजेदार को पांचों वक्त की नमाज फर्ज है। 

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