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जानिए, मां के किस रूप को लगाएं कौन सा भोग

नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है। मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा होती है। इन नौ दिनों में भक्‍त मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों के अनुरूप भोग लगाकर आशीर्वाद पा...

जानिए, मां के किस रूप को लगाएं कौन सा भोग
लाइव हिन्‍दुस्‍तान टीम,मेरठSat, 23 Sep 2017 12:33 PM
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नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है। मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा होती है। इन नौ दिनों में भक्‍त मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों के अनुरूप भोग लगाकर आशीर्वाद पा सकते हैं। जानिए मां के किस स्‍वरूप को कौन सा भोग लगाना चाहिए।

  • मां शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है और अगर ये चीजें गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्‍ति मिलती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है।
  • मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य मिलता है।
  • मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और  इनका दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और दुखों का नाश करती हैं।
  • मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं और प्रसाद किसी ब्राह्मण को दान कर दें। इससे बुद्धि का विकास होगा। निर्णय क्षमता बढ़ेगी।
  • मां स्कंदमाता को पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।
  • मां कात्यायनी षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक को सुंदर रूप मिलता है।
  • मां कालरात्रि सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है।
  • मां महागौरी अष्‍टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
  • मां सिद्धिदात्री नवमी तिथि पर मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं और उसे गरीबों में दान करे। इससे जीवन में सुख-शांति मिलती है।

(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं  पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया  गया है।)

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