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जो भी गलत करो दूसरों को बता देना 

एक डाकू रोजाना की लूटपाट और डकैती से आजिज आ चुका था, लेकिन उसे इन बुराइयों को छोड़ने का कोई रास्ता न सूझता था। वह गुरु नानक देव जी की शरण में पहुंचा। उनके चरणों में शीश नवाकर बोला, कि गुरुजी मैंने...

जो भी गलत करो दूसरों को बता देना 
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 31 Dec 2016 04:05 AM
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एक डाकू रोजाना की लूटपाट और डकैती से आजिज आ चुका था, लेकिन उसे इन बुराइयों को छोड़ने का कोई रास्ता न सूझता था। वह गुरु नानक देव जी की शरण में पहुंचा। उनके चरणों में शीश नवाकर बोला, कि गुरुजी मैंने जीवन में कई बुरे काम किए हैं ।अब मैं इनसे थक चुका हूं। गलत कामों को मैं छोड़ना चाहता हूं।

गुरु नानक देव जी ने उसे समझाया कि बुराई से बचने का रास्ता है कि बुरे कामों को छोड़ दो।
यह सुनकर वह बोला अच्छा तो मैं इसका प्रयास करूंगा। यह कहकर वह चला गया और कुछ दिन बाद फिर लौटकर गुरुजी के पास आया। गुरुजी ने उससे उसका हाल पूछा तो वह बोला कि गुरुजी ने मैंने बुराइयों को छोड़ने का पूरा प्रयास किया, लेकिन मैं इन्हें छोड़ नहीं पाया। मुझे कोई दूसरा रास्ता बताएं।

इस पर गुरुजी ने कहा कि अब तुम्हें जो अच्छा लगे वह करना, लेकिन जो भी करना उसके बारे में रोजाना दूसरे लोगों को जरूर बता देना। यह सुनकर डाकू बहुत खुश हुआ और बोला कि यह तो बेहद आसान है। वह गुरुजी को प्रणाम कर वहां से चला गया।

कुछ दिनों बाद वह फिर से गुरुजी से मिलने पहुंचा। गुरुजी ने जब उससे उसका हाल पूछा तो वह बोला, आपने जैसा बताया था, मैंने वैसा ही किया, लेकिन यह तो बेहद मुश्किल काम है।अपने बुरे कर्मों को दूसरों को बताना बेहद मुश्किल है। इस शर्मिंदगी से बचने के लिए अब मैंने डाका डालना ही छोड़ दिया है। इस तरह वह गुरुजी की सीख से अच्छा इंसान बन गया।

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