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देवी की आराधना का पर्व आज से, पढ़ें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Mar 2017 04:11 PM

आज से शुरू हो गए हैं चैत्र नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि का समय बहुत ही शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन मां भगवती की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करना बहुत अच्छा होता है। नवरात्रि के पहले दिन की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा और घट स्थापना। मां भगवती दुर्गा का कृपा पाने के लिए विधि विधान से नौ दिन तक दुर्गा देवी पूजन-अर्चना करनी चाहिए। इससे मनोवांछित फल तो मिलता ही है साथ ही मां का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: कलश स्थापना सुबह साढ़ें आठ बजे के बाद कर सकते हैं। अभिजीत मुहूर्त्त मध्यान्ह 11:35 बजे से 12:23 तक रहेगा। इस प्रकार प्रतिपदा 28 मार्च को दिन में 8 बजकर 26 मिनट पर शुरु होगी। 5 अप्रैल 2017 दिन बुधवार को दोपहर दिन में 12:50 बजे तक ही नवरात्र होगा,उसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी।

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ऐसे करें कलश स्थापना

नवरात्रि के पहले दिन आप कलश स्थापना कर सकते हैं। कलश स्थापना के लिए सबसे पहले स्नानादि कर पूजा स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद सबसे पहले लकड़ी के एक आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान गणेश को याद करते हुए इस पर चावल रखें। ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के मुताबिक वस्त्र पर श्री गणेश जी का स्मरण करते हुए थोड़े चावल रखें। अब मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर जौ बोयें, फिर इस पर जल से भरा मिट्टी, सोने या तांबे का कलश विधिवत स्थापित करें। 

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देवी की आराधना का पर्व आज से, पढ़ें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि का पहला दिन, मंदिरों में पूरी हुईं तैयारियां
पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री समस्त सृष्टि की रचना का आधार हैं। नवरात्र के पहले दिन मंगलवार को व्रती महिलाएं और पुरुष घट स्थापना और आराधना के जरिये मां भगवती का आह्वान करेंगे। वहीं राजधानी के मंदिरों में भी इस मौके पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मां का पूर्ण शृंगार कर दिया गया है। मंदिरों को बिजली की झालरें और फूलों की लड़ियां लगाकर सजाया गया है। मां के आगमन की तैयारी के साथ ही बढ़ती भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था भी तेज की गई है।

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छतरपुर मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य पं हरिमोहन झा बताते हैं कि मां की आराधना के साथ ही मंगलवार से नव संवत्सर की शुरुआत भी है। इस बार साधारण संवत्सर है। इसका संदेश है कि इस पूरे साल स्थिति देशवासियों के अनुकूल बनी रहेंगी। संवत्सर के पहले दिन मां की आराधना सभी मार्ग प्रशस्त करती है। इसी के मद्देनजर मंदिर में पूरी तैयारियां की गई हैं। छतरपुर मंदिर सहित झंडेवालान, कालका जी मंदिर, काली बाड़ी और नीलम माता मंदिर में भी तैयारियां पूरी हो गईं हैं। 

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ज्यादातर सभी मंदिरों में नवरात्र के पहले दिन से ही सहस्त्र चंडी यज्ञ शुरू हो जाएगा। मंदिर प्रबंधन की ओर से तैनात सेवादारों ने अपने अपने काम बांट लिए हैं। पूजा करने आए भक्तों को शीघ्र दर्शन, प्रसाद और पेयजल संबंधी जिम्मेदारियां बांट दी गई हैं। पंडित हरिमोहन झा ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन घरों में कलश स्थापना का समय सुबह नौ से 12 बजे के बीच शुभ फलदायी है। 

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