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रत्न और ज्योतिष : जानिए कौन सा रत्‍न आपके लिए होगा प्रभावी

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कमजोर ग्रहों से शुभ प्रभाव लेने के लिए रत्‍नों का उपयोग बताया गया है। ज्योतिष में रत्‍नों के उपयोग को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। तमाम ज्योतिषाचार्य  तो यहां...

रत्न और ज्योतिष : जानिए कौन सा रत्‍न आपके लिए होगा प्रभावी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 03 Dec 2015 01:24 PM
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भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कमजोर ग्रहों से शुभ प्रभाव लेने के लिए रत्‍नों का उपयोग बताया गया है। ज्योतिष में रत्‍नों के उपयोग को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। तमाम ज्योतिषाचार्य  तो यहां तक दावा करते हैं कि रत्‍न धारण करने से जिंदगी ही बदल जाती है। आइए जानते हैं कि ज्योतिष विद्या में कितने तरह के रत्‍नों के बारे में बताया गया है और किसका उपयोग किसलिए किया जाता है-

नौ प्रकार के होते हैं रत्‍न
रत्न मुख्यतः नौ प्रकार के होते है। ज्योतिष बताते हैं कि सूर्य की प्रबलता के लिए माणिक, तो चन्द्र के लिए मोती पहनना चाहिए। इसी तरह जिसका मंगल ग्रह कमजोर होता है उसे मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियां पहना जाता है।

जितना अच्छा रत्‍न, उतना अच्छा प्रभाव
सभी रत्नों का उप रत्न भी होता है, जितना अच्छा रत्न होता है। उसका प्रभाव भी उतना अधिक होता है। सभी रत्नों का उनके ग्रहों के अनुसार दिन और अंगुलियां निर्धारित की गई है। रत्नों को शुभ समय में धारण करना चाहिए। मूंगा, नीलम और मानिक एक ही हाथ में नहीं पहनना चाहिए।

ऐसे करें रत्‍नों का चुनाव
कभी भी राशियों के हिसाब से रत्न नहीं पहनने चाहिए। रत्‍न का चुनाव हमेशा कुंडली के ग्रहों की स्थिति को देखते हुए करना चाहिए। सामान्यत: रत्नों के बारे में कई तरह की भ्रांतियां हैं। विवाह न हो रहा हो तो पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। मांगलिक होने पर मूंगा पहनने की। गुस्सा आने पर मोती पहनने को कहा जाता है,लेकिन कौन सा रत्न कब पहना जाए इसके लिए कुंडली का सूक्ष्म निरीक्षण जरूरी होता है।

दशा-महादशा का अध्ययन जरूरी
लग्न कुंडली, नवमांश, ग्रहों, दशा-महादशा आदि का अध्ययन करने के बाद ही रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। लग्न कुंडली के अनुसार कारक ग्रहों के (लग्न, पंचम, नवम) रत्न पहने जा सकते हैं। रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है।

इन स्वामी ग्रहों के रत्‍न नहीं पहनने चाहिए
3, 6, 8, 12 के स्वामी ग्रहों के रत्न नहीं पहनने चाहिए। इनको शांत रखने के लिए दान-मंत्र जाप का सहारा लेना चाहिए। किसी भी लग्न के तीसरे, छठे, सातवें, आठवें और व्यय भाव यानी बारहवें भाव के स्वामी के रत्न नहीं पहनने चाहिए।

कौन सा रत्न किस धातु में पहने
किस रत्‍न को किस धातु में पहना जाए। यह भी समझना जरूरी होता है। इसका भी प्रभाव होता है। मोती को चांदी में पहनना चाहिए। वहीं हीरा, पन्ना, माणिक,नीलम,पुखराज जैसे रत्‍न सोना में पहनना चाहिए और लहसुनिया, गोमेद पंचधातु में पहनने से अधिक लाभ होता है।

जांच परख कर ही खरीदें रत्‍न
आज कल बाजार में नकली रत्‍नों की बिक्री जोरों पर है, इसलिए रत्न लेने से पहले उसकी जांच परख करना बहुत जरूरी है। जांच पड़ताल के बाद ही रत्‍न खरीदना चाहिए। रत्‍नों के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए उसकी सही से जांच कर लेनी चाहिए।

ऐसे धारण करें रत्‍न
ज्योतिषाचार्य पं. दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं कि ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही रत्‍न धारण करना चाहिए। रत्‍न धारण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि रत्‍न शरीर से टच हो, क्योंकि रत्‍नों का काम सूर्य से ऊर्जा लेकर उसे शरीर में प्रवाहित करना होता है। त्रिपाठी बताते हैं कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उसे गंगाजल अथवा पंचामृत से स्‍नान कराना चाहिए। इसके बाद रत्न को स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा शुद्ध घी का दीपक जलाकर रत्न के अधिष्ठाता ग्रह का मंत्रजाप करना चाहिए। इसके बाद ही रत्‍न पहनना चाहिए।  

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