भूलकर भी नहीं पहनें ऐसा पन्ना
यदि पन्ना रेखाओं का जाल लिए हो, आभारहित हो, छोटी-छोटी धारियां हों, गड्ढा, खुरदरापन एवं फीका रंग रूप लिए हो अथवा कोई एक सीधी रेखा खड़ी हो, दो प्रकार के रंग हों, पीले या लाल रंग के बिन्दु मौजूद...
यदि पन्ना रेखाओं का जाल लिए हो, आभारहित हो, छोटी-छोटी धारियां हों, गड्ढा, खुरदरापन एवं फीका रंग रूप लिए हो अथवा कोई एक सीधी रेखा खड़ी हो, दो प्रकार के रंग हों, पीले या लाल रंग के बिन्दु मौजूद हों, सोने या शहद के रंग के दाग धब्बे रत्न पर स्थित हों तो ऐसा पन्ना दोषयुक्त होता है। सदोष पन्ना नहीं पहनना चाहिए। पीला पन्ना कदापि नहीं पहनना चाहिए। आभाहीन, गड्ढेदार एवं धारियों से युक्त पन्ना भूलकर भी नहीं पहनें। इस अवस्था में पन्ना रत्न मादकतावर्धक होता है।
आयुर्वेद के मतानुसार पन्ना रत्न अतिश्रेष्ठ रत्न की श्रेणी में शुमार है। यह विषनाशक एवं ज्वरनाशक तथा बवासीर व सन्निपात के उपचार में भी उपयोग किया जाता है। शक्तिवर्धक के रूप में भी यह प्रयुक्त होता है। मूत्र सम्बंधित रोगों में पन्ना रत्न की भस्म का सेवन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)