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क्यों नष्ट हो जाते है संन्यासी, पराक्रमी राजा तथा गुणवान मनुष्य?

श्रीरामचरितमानस के अरण्य कांड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा नाक, कान काटे जाने के बाद रावण के पास जाती है। वह रावण को बताती है कि कौन से अवगुण संन्यासी, पराक्रमी राजा तथा गुणवान मनुष्य को भी नष्ट कर...

क्यों नष्ट हो जाते है संन्यासी, पराक्रमी राजा तथा गुणवान मनुष्य?
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 15 May 2017 01:47 PM
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श्रीरामचरितमानस के अरण्य कांड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा नाक, कान काटे जाने के बाद रावण के पास जाती है। वह रावण को बताती है कि कौन से अवगुण संन्यासी, पराक्रमी राजा तथा गुणवान मनुष्य को भी नष्ट कर सकते हैं।

संग तें जती कुमंत्र ते राजा। मान ते ग्यान पान तें लाजा।।
प्रीति प्रनय बिनु मद ते गुनी। नासहिं बेगि नीति अस सुनी।।

अर्थात्- शूर्पणखा रावण से कहती है कि विषयों के संग से संन्यासी, बुरी सलाह से राजा, मान से ज्ञान, मदिरापान से लज्जा, नम्रता के बिना (नम्रता न होने से) प्रीति और मद (अहंकार) से गुणवान शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।                                                                                                                                                                         विषयों से दूर रहें संन्यासी
हिंदू धर्म में साधु-संन्यासी को पूजनीय बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि संन्यासी ईश्वर के निकट होते हैं, लेकिन यदि कोई संन्यासी होने के बाद भी कोई विषयों (वासना, लोभ आदि) में घिरा रहता है तो उसका शीघ्र ही पतन हो जाता है। इसलिए संन्यासी को विषयों से अलग रहना चाहिए।

राजा को बिना सोचे-समझे सलाह पर नहीं करना चाहिए अमल
राजा भले ही कितना भी पराक्रमी क्यों न हो, लेकिन यदि वह बार-बार अपने मंत्री व मित्रों की गलत सलाह मानता रहेगा तो उसे भी नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगता। धर्म ग्रंथों के अनुसार राजा का प्रथम कर्तव्य अपनी प्रजा का पालन-पोषण करना है।गलत सलाह के कारण यदि वह अपने कर्तव्य पूरे नहीं कर पाएगा तो नागरिक उसके विरुद्ध बगावत कर सकते हैं। राजा को अपने मंत्रियों से सलाह अवश्य लेना चाहिए, लेकिन बिना सोचे-विचारे उस सलाह पर अमल नहीं करना चाहिए।
 
ज्ञान का घमंड कभी न करें

जीवन में ज्ञान का बहुत महत्व है। अगर आपके पास ज्ञान है तो आप अपने जीवन में हर वो चीज हासिल कर सकते हैं, जो आपको चाहिए। कहते हैं ज्ञान बांटने से और बढ़ता है। ज्ञानी व्यक्ति को सदैव अपना ज्ञान बांटने के लिए तैयार रहना चाहिए। कुछ लोगों को लेकिन अपने ज्ञान पर घमंड हो जाता है और वे दूसरों के साथ अपना ज्ञान बांटने से कतराते हैं। ऐसे लोग हमेशा कुंठित ही रहते हैं। उन्हें हमेशा यही डर सताता है कि कहीं कोई उनसे उनका ज्ञान छिन न ले। ऐसे में उनका ज्ञान संकुचित रह जाता है और वह ज्ञान उनके भी किसी काम का नहीं रहता। इसलिए ज्ञान पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए और सदैव ज्ञान बांटने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

शिक्षा : रावण में भी बहुत से गुण थे, लेकिन अहंकार के कारण उसका नाश हो गया। इसलिए गुणवान व्यक्ति को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए।

 

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