ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News Astrology Discoursekeep your home and always sacred place

सदैव पवित्र रखें अपना घर और स्थान

जिस भूमि में जैसे कर्म किए जाते हैं, वैसे ही संस्कार वह भूमि भी प्राप्त कर लेती है। इसलिए गृहस्थ को अपना घर सदैव पवित्र रखना चाहिए। मार्कण्डेय पुराण में एक कथा आती है कि राम और लक्ष्मण वन में...

सदैव पवित्र रखें अपना घर और स्थान
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 17 Nov 2016 12:52 AM
ऐप पर पढ़ें

जिस भूमि में जैसे कर्म किए जाते हैं, वैसे ही संस्कार वह भूमि भी प्राप्त कर लेती है। इसलिए गृहस्थ को अपना घर सदैव पवित्र रखना चाहिए। मार्कण्डेय पुराण में एक कथा आती है कि राम और लक्ष्मण वन में प्रवास कर रहे थे। मार्ग में एक स्थान पर लक्ष्मण का मन कुभाव से भर गया और मति भ्रष्ट हो गई। वे सोचने लगे- कैकेयी ने तो भैया राम को वनवास दिया है, मुझे नहीं। मैं राम की सेवा के लिए कष्ट क्योँ उठाऊँ?

राम ने लक्ष्मण से कहा- इस स्थल की मिट्टी अच्छी दीखती है, थोड़ी बांध लेते हैं। लक्ष्मण ने एक पोटली बना ली। मार्ग में जब तक लक्ष्मण उस पोटली को लेकर चलते थे तब तक उनके मन में कुभाव बना रहता था। वहीं जैसे ही वे उस पोटली को नीचे रखते उनका मन राम-सीता के लिए ममता और भक्ति से भर जाता था। 

लक्ष्मण ने इसका कारण भगवान श्री राम से पूछ। श्रीराम ने कारण बताते हुए कहा- भाई! तुम्हारे मन के इस परिवर्तन के लिए दोष तुम्हारा नहीं उस मिट्टी का प्रभाव है, जिसकी तुमने पोटली बांध रखी है। उन्होंने लक्ष्मण को बताया कि जिस भूमि पर जैसे काम किए जाते हैं उसके अच्छे बुरे परमाणु उस भूमिभाग में और वातावरण में भी छूट जाते हैं। जिस स्थान की मिट्टी इस पोटली में है, वहां पर सुंद और उपसुंद नामक दो राक्षसो का निवास था। उन्होंने कड़ी तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने उनकी मांग तो पूरी करनी चाही किन्तु कुछ नियन्त्रण के साथ। उन दोनों भाइयो में बड़ा प्रेम था अतः उन्होंने कहा कि हमारी मृत्यु केवल आपसी विग्रह से ही हो सके। ब्रह्माजी ने वर दे दिया । 

वरदान पाकर दोनों ने सोचा कि हम कभी आपस में झगड़ने वाले तो है नहीं अतः अमरता के अहंकार में देवों को सताना शुरु कर दिया। जब देवों ब्रह्माजी का आश्रय लिया तो ब्रह्माजी ने तिलोत्तमा नाम की अप्सरा का सर्जन करके उन असुरों के पास भेजा। सुंद और उपसुंद ने इस सौन्दर्यवती अप्सरा को देखकर कामांध हो गए और अपनी अपनी कहने लगे तब तिलोत्तमा ने कहा कि मैं तो विजेता के साथ विवाह करंगी, तब दोनों भाइयों को विजेता बनने के लिए ऐसा घोर युद्ध किया कि दोनों की मृत्यु हो गई। वे दोनों सुर जिस स्थान पर झगड़ते हुए मरे थे, उसी स्थान की यह मिट्टी है। अतः इस मिट्टी में भी द्वेष, तिरस्कार और वैर के सिंचन हो गया है।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें