शिफ्ट में काम करने वालों की शादी है खतरे में
माना जाता है कि शिफ्ट बदल-बदलकर काम करने वालों को सेहत संबंधित समस्याएं ज्यादा होती हैं। पर नए शोध में पाया गया कि ऐसे कर्मचारियों की शादी भी खतरे में होती है। यानी शिफ्ट में काम करने वाले...
माना जाता है कि शिफ्ट बदल-बदलकर काम करने वालों को सेहत संबंधित समस्याएं ज्यादा होती हैं। पर नए शोध में पाया गया कि ऐसे कर्मचारियों की शादी भी खतरे में होती है। यानी शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के तलाक की आशंका हर रोज एक ही समय अवधि में काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पाली बदलकर काम करने वालों के विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं। जैसे जिन कंपनियों में रात की पाली में भी काम होता है। वहां महिला और पुरुष सहकर्मियों को बेवफाई के लिए माहौल मिलता है।
तीन साल में पांच गुना बढ़े तलाक के मुकदमे
ब्रिटेन की कानूनी परामर्शदाता कंपनी हाल ब्रोन के मुताबिक तलाक के मुकदमों का गहराई से अध्ययन करने से पता चलता है कि शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों का तलाक पिछले तीन साल में सात प्रतिशत से 35 फीसदी तक पहुंच गया है। 260 मुकदमों का अध्ययन करने पर पता चला कि तीन साल पहले तलाक के लिए आए मुकदमों में से 18 में पति या पत्नी में से कोई एक शिफ्ट में काम करता था। जबकि अब ऐसे मुकदमों की संख्या 60 से ज्यादा हो चुकी है। कंपनी की वरिष्ठ वकील क्लेअर रीड के मुताबिक शिफ्ट कर्मचारियों के आए तलाक के केस में 80 फीसदी का कारण विवाहेत्तर संबंध थे।
समय की कमी के चलते होते झगड़े
क्लेअर रीड के मुताबिक तलाक की आई शिकायतों से पता चलता है कि शिफ्ट में काम करने से एक छत के नीचे रहने के बावजूद पति-पत्नी अलग-अलग जिंदगियां जीते हैं। तनाव और झगड़े ज्यादा हो जाते हैं जब बच्चों को संभालने के लिए पति या पत्नी में से किसी एक को ज्यादा प्रयास करना पड़ता है।
खुद को दोषी समझने लगते हैं
शोधकर्ताओं के मुताबिक शिफ्ट में काम करने वालों को लगता है कि वह सामान्य पारिवारिक जीवन नहीं जी पा रहे हैं। इससे उनमें खुद को बहिष्कृत या दोषी समझने की भावना बढ़ने लगती है। अनियमित पाली में काम करने वालों के लिए छुट्टी आदि की योजना बनाना भी मुश्किल होता है। जीवनशैली भी मुश्किल हो जाती है।