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Hindi News अनोखी इनसे सीखेंमधुबनी पेंटिंग को नया आयाम दे रही है सास-बहू की यह जोड़ी

मधुबनी पेंटिंग को नया आयाम दे रही है सास-बहू की यह जोड़ी

अगर कोई महिला इन्वेस्टमेंट बैंकर जैसा कामयाब करियर छोड़कर अपने देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी उठाए तो निश्चित रूप से उसे साहसी कहा जाएगा। यह साहस दिखाया रुचि झा ने अपने ई-कॉमर्स...

मधुबनी पेंटिंग को नया आयाम दे रही है सास-बहू की यह जोड़ी
सौदामिनी पांडेय,नई दिल्लीTue, 14 Nov 2017 02:19 PM
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अगर कोई महिला इन्वेस्टमेंट बैंकर जैसा कामयाब करियर छोड़कर अपने देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी उठाए तो निश्चित रूप से उसे साहसी कहा जाएगा। यह साहस दिखाया रुचि झा ने अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘आईमिथिला’ से  और उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
रुचि मिथिला की रहने वाली हैं। एक बार छुट्टियों के दौरान वह अपने गांव पहुंचीं। रुचि बताती हैं,‘उस समय मिथिला र्पेंंटग्स से जुड़े कुछ राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों से मिलने का संयोग बना था।’ इन कलाकारों ने घर के बाहर मिथिला पेंटिंग्स सजाई हुई थी। इन तस्वीरों की सुंदरता रुचि के मन में बस गई। मिथिला में इन पेंटिग्स से घर सजाने की परंपरा है। वे कहती हैं, ‘उन पेंटिंग्स को देखकर मुझे महसूस हुआ कि मैं इस कला को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहती हूं। साथ ही मैं कलाकार को भी अपना हुनर दिखाने के लिए एक प्लेटफॉर्म देना चाहती थी। अपनी शिक्षा और प्रोफेशनल अनुभव होने के नाते मुझे लगा कि इस काम की जिम्मेदारी मुझे उठानी चाहिए। यहीं से हुई आईमिथिला हैंडीक्राफ्ट्स और हैंडलूम प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत।’ 

सास-बहू की निराली जोड़ी
जब रुचि ने कॉरपोरेट दुनिया से विदा लेने की सोची तो खुद का काम शुरू करने के लिए उन्हें किसी साथी की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि इस काम के लिए उनकी सास रेणुका कुमारी आदर्श साझेदार थीं। आमतौर पर अभिभावक-बच्चों या भाई-बहन आदि के स्टार्टअप सुनने में आते हैं, लेकिन सास-बहू का साथ में काम करना उतना आम नहीं है। रुचि बताती हैं, ‘मेरी सास दरभंगा में रहती हैं, जो मधुबनी आर्ट के लिए मशहूर है। बतौर वनस्पति विज्ञान प्रोफेसर काम कर चुकीं मेरी सास की मधुबनी पेंटिंग्स में मेरी तरह विशेष रुचि है। हमारी समान रुचियां ही इस स्टार्टअप का आधार बनीं।’
आईमिथिला के साथ वह न सिर्फ मिथिला र्पेंंटग्स का दुनियाभर में प्रसार करती हैं, बल्कि कला से जुड़े सभी लोगों, चाहे वह ग्रामीण इलाकों में हों या शहरों में, के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास भी करती हैं। थोड़े से ही समय में उन्होंने अपने प्रयासों से आईमिथिला को देश-विदेश में मधुबनी र्पेंंटग की श्रेणी में सबसे तेज बढ़ता हुआ ब्रांड बना दिया है। उनकी खासियत है कि हर सामान में कलाकारों की कुशलता के दर्शन होते हैं। 

कम नहीं थीं चुनौतियां 
रुचि ने जब साल 2016 में अपने काम की शुरुआत की तो उन्होंने महसूस किया कि महिलाओं के लिए उद्यमी  बनना आसान नहीं है। वह बताती हैं,‘घर के लोग शुरुआत में काम के लिए राजी नहीं थे। सामाजिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। इस काम में स्थानीय कलाकारों को काम के लिए राजी करना करना काफी मुश्किल था, क्योंकि वे मैथिली ही समझते थे। एक मुश्किल यह भी थी कि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना था। हमारे उत्पाद काफी नए हैं। हमारे लिए मार्केट रिसर्च करने के लिए आंकड़े नहीं थे। इससे हमें काफी समस्या हुई, लेकिन हमने हार नहीं मानी। हमने अपनी ओर से कोशिशें कीं, कुछ में सफलता मिली, कुछ में असफल रहे। प्रतिक्रिया के आधार पर हमने उत्पाद तैयार किए। लेकिन हमारे अनूठे उत्पादों को आखिर में अच्छा रेस्पॉन्स मिला और इस तरह अपने काम को आगे बढ़ाया।’

 

पसंद आ रहे हैं उत्पाद
रुचि ने अपने सामार्न ंवटेज स्टाइल में तैयार कराए हैं, लेकिन आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए उन्हें उपयोगी भी बनाया है। इससे उन्हें बड़े बाजार तक पहुंचने में मदद भी मिल रही है। इस अनूठे काम के साथ उन्होंने 100 से ज्यादा कलाकारों र्की ंजदगी को मायने दिए हैं, कई हजार उपभोक्ताओं की जीवनशैली को बदला है। अब तो उन्हें केंद्र और राज्य सरकार से भी मदद मिल रही है। उन्हें सुपर स्टार्टअप अवॉर्ड भी मिला है।

सफलता की ओर बढ़े कदम
रुचि ने अपनी सास के साथ मिलकर साड़ी, स्टोल, बैग, क्लच, कोस्टर, ट्रे, वॉल क्लॉक आदि पर मिथिला पेंटिंग के प्रयोग किए, जिन्हें बाजार ने हाथोहाथ लिया। वे नोएडा और दिल्ली से मार्केटिंग का काम संभालती हैं, जबकि उनकी सास दरभंगा में प्रोडक्शन यूनिट में कलाकारों के साथ समन्वय स्थापित करती हैं। रुचि बताती हैं, ‘हमें जब लोग मिलते हैं तो वे इस बात की सराहना करते हैं कि हम देश की कला और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं और कलाकारों की आजीविका के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। इससे हमारा विश्वास और भी पुख्ता होता है कि हम सही राह पर हैं।’

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