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इस थकान का कारण थाइरॉइड तो नहीं

क्या आपको थोड़ी-सी मेहनत करने पर ही थकान महसूस होने लगती है? क्या मोटापे के साथ-साथ बाल भी झड़ रहे हैं? क्या आपको भूलने की बीमारी है? क्या आप अक्सर तनाव महसूस करते हैं? अगर इन सबके जवाब हां में हैं...

इस थकान का कारण थाइरॉइड तो नहीं
हिन्दुस्तान फीचर टीम।,नई दिल्लीFri, 26 May 2017 06:34 PM
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क्या आपको थोड़ी-सी मेहनत करने पर ही थकान महसूस होने लगती है? क्या मोटापे के साथ-साथ बाल भी झड़ रहे हैं? क्या आपको भूलने की बीमारी है? क्या आप अक्सर तनाव महसूस करते हैं? अगर इन सबके जवाब हां में हैं तो 
आपको अपने थाइरॉइड का स्तर जांच कराने की जरूरत है।
धीरे-धीरे सामने आने वाले ये लक्षण समय के साथ गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकते हैं। पहले समझा जाता था कि थाइरॉइड संबंधी रोग केवल नमक में आयोडीन नहीं होने की वजह से ही होते हैं, पर थाइरॉइड की समस्या के लिए जेनेटिक कारणों के अलावा व्यक्ति की जीवनशैली भी वजह बन सकती है।

कई तरह के थाइरॉइड
थाइरॉइड दो तरह का होता है- हाइपो और हाइपर। हाइपो में वजन बढ़ने लगता है और भूख कम लगती है। हाथ-पांव में सूजन आ जाती है। मरीज सुस्ती और सर्दी से परेशान रहता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता। कभी-कभी मासिक धर्म और याददाश्त में कमी हो सकती है। 
इसके उलटे हाइपर में मरीज का वजन कम हो जाता है और भूख ज्यादा लगती है। मानसिक तनाव की शिकायत होती है। एकाग्रता में कमी, धड़कन और बीपी बढ़ने की शिकायत हो जाती है।
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रेनू चावला के मुताबिक हाइपोथाइरॉइड में थाइरॉइड हार्मोन बनना कम हो जाता है। ऐसे में शरीर में भोजन की ऊर्जा को रसायनिक प्रक्रिया में बदलने की गति धीमी हो जाती है। लेकिन यह आसानी से पकड़ में नहीं आती। इसलिए शुरुआती लक्षण जैसे कि याददाश्त में कमी, सुस्ती, थकान आदि दिखने पर हार्मोन की जांच करा लेनी चाहिए।  

जानें थाइरॉइड के बारे में
हमारी गर्दन में थाइरॉइड ग्लैंड होती है, जो दो तरह के थाइरॉइड हार्मोन टी-3 और टी-4 बनाती है। शरीर की सबसे जरूरी ग्रंथियों में से एक थाइरॉइड ग्लैंड शरीर की कई चीजों को नियंत्रित और नियमित करती है। अच्छी नींद, स्वस्थ पाचन तंत्र, मेटाबोलिज्म, शरीर का तापमान, विकास आदि थाइरॉइड की संतुलित मात्रा पर ही निर्भर करता है। ऐसे में थाइरॉइड हार्मोन का जरूरत से ज्यादा बनना या कम बनना, दोनों ही स्थितियों में खतरनाक साबित हो सकता है। थाइरॉइड के घटने या बढ़ने से महिलाओं के अंदर बांझपन और पीरियड्स के बढ़ने जैसी दिक्कतें पैदा हो जाती है। खासकर बढ़ा हुआ थाइरॉइड ज्यादा मुसीबतें पैदा कर सकता है। इसे हाइपरथाइरॉइड कहते हैं। 

लक्षण
थाइरॉइड डिसऑर्डर से संबंधित शुरुआती परेशानियां इतनी आम होती हैं कि उन पर अक्सर ध्यान नहीं जाता। हम में से ज्यादातर लोग तो थाइरॉइड की समस्या को समझ ही नहीं पाते। ऐसे में वे किसी और बीमारी का इलाज ढूंढ़ने लगते हैं। देर से पता चलने की वजह से थाइरॉइड ज्यादातर लोगों को कम समय में ही अधिकतम नुकसान पहुंचा चुका होता है। 
डॉ. चावला के मुताबिक भूख के बावजूद वजन में गिरावट, तेज धड़कन, हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, खूब पसीना आना, गर्दन में सूजन, कम मासिक धर्म, बार-बार शौच जाना, हाथ कांपना आदि कुछ ऐसे संकेत हैं, जिससे हाइपरथाइरॉइड का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वजह 
शरीर में आयोडीन की कमी के अलावा, असंतुलित थाइरॉइड की और भी कई वजहें हैं। इनमें से एक तनाव भी है। तनाव, थाइरॉइड ग्रंथियों के काम में बाधा डालता है, जिसकी वजह से ग्रंथियां ठीक से काम नहीं कर पातीं और हार्मोन के निर्माण में गड़बड़ी आनी शुरू हो जाती है। 

कितना हो सकता है नुकसान
विशेषज्ञों के मुताबिक असंतुलित थाइरॉइड दिल की बीमारी, बांझपन, अल्जाइमर, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि  मौत का कारण बन सकता है। असंतुलित थाइरॉइड की वजह से होने वाला थाइरॉइड कैंसर बहुत ही आम हो चुका है। यह एंडोक्राइन ग्लैंड में होने वाला कैंसर है। गर्दन में दर्द के साथ-साथ भारीपन रहना और सूजन आ जाना इसके कुछ शुरुआती लक्षण हैं।     

कैसे करें बचाव 
थाइरॉइड की समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है। भारत में, जहां ज्यादातर महिलाएं अपने खान-पान पर ध्यान नहीं दे पातीं, इसकी शिकार हो जाती हैं। इंडियन थाइरॉइड सोसाइटी के आंकड़ों की मानें तो भारत में 4.2 करोड़ से ज्यादा लोग थाइरॉइड के शिकार हैं, जिनमें 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। 
थाइरॉइड कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिसे नियंत्रित ना किया जा सके। समय रहते यदि इसका पता चल जाए तो इसे पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। लेकिन इसे ठीक करने के लिए कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है। इसके लिए लंबे समय तक उपचार चलता है। डॉक्टरों की मानें तो 35 वर्ष से ज्यादा उम्र के हर व्यक्ति को प्रत्येक पांच साल में एक बार थाइरॉइड जांच जरूर करा लेनी चाहिए।   

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