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नवार्ण मंत्र दिलाएगा भक्ति का फल, ऐसे करें मां की पूजा

नवरात्र शुरू हो चुके हैं। ये वो दिन हैं, जब हमें अपने दुख मां अंबे के चरणों में रखने होंगे और सुखों की कामना करनी होगी। पर , मनोकामनाएं पूरी हो जाएं इसलिए मां की पूजा-अर्चना पर भी खास ध्यान देना...

नवार्ण मंत्र दिलाएगा भक्ति का फल, ऐसे करें मां की पूजा
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीTue, 26 Sep 2017 04:09 PM
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नवरात्र शुरू हो चुके हैं। ये वो दिन हैं, जब हमें अपने दुख मां अंबे के चरणों में रखने होंगे और सुखों की कामना करनी होगी। पर , मनोकामनाएं पूरी हो जाएं इसलिए मां की पूजा-अर्चना पर भी खास ध्यान देना होगा। उनकी पसंदीदा चीजों को पूजा-पाठ में शामिल करना होगा। कैसे करें मां की पूजा ताकि मां दुर्गा की कृपा आप पर और आपके परिवार पर कायम रहे, आइए जानें:

मां को पसंद हैं गुड़हल के फूल 
दुर्गा सप्तशती में माना गया है कि दुर्गाजी के108 नाम हैं। नवरात्र के ये नौ दिन इन नामों को याद करने के होते हैं। इन नौ दिनों में पूजा करते हुए मां दुर्गा के इन नामों को जपें। पर, इसके साथ हर नाम के बाद एक गुड़हल का फूल मां के चरणों में चढ़ाते जाएं। वैसे आप किसी भी तरह के लाल फूल को मां के चरणों में अर्पित कर सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार कमल के फूलों को धन प्राप्ति के लिए मां को अर्पित किया जाता है तो गुड़हल के फूलों को सुख-समृद्धि के लिए चढ़ाया जाता है। मां को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा के दौरान लाल फूल के अलावा लाल चंदन और रोली भी अर्पित करें।

नवार्ण मंत्र दिलाएगा भक्ति का फल
बीज मंत्रों से बना नवार्ण मंत्र अपने आप में भक्ति का फल छुपाए हुए है। यह देवी के तीन बीज मंत्रों से मिल कर बना है। माना जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप अगर 108 बार किया जाए तो अंधकार के बादल निश्चय ही छट जाते हैं। बेहतर फल के लिए विद्यार्थियों को स्फटिक, औरतों को लाल चंदन और पुरुषों को रुद्राक्ष की माला जपनी चाहिए। यह मंत्र है: ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ’

फलदायी है दुर्गा सप्तशती पाठ 
दुर्गा सप्तशती में कुल 13 पाठ हैं, पर फिर भी अगर समय कम है तो अकेले 11वां पाठ आपको आशीर्वाद दिलाने में सक्षम है क्योंकि इस पाठ में ही देवी मां आशीर्वाद देती हैं। मगर यहां यह भी ध्यान देना होगा कि इन पूरे 13 पाठों को नवरात्र के दौरान बेहद आसान तरीके से पढ़ा जा सकता है: पहले दिन- 1 पाठ, दूसरे दिन- 2 पाठ, तीसरे दिन- 1पाठ, चौथे दिन- 2 पाठ, पांचवें दिन-  2पाठ, छठे दिन-  1पाठ, सातवें दिन- 2 पाठ और आठवें दिन- 2 पाठ।

कुछ नहीं कर  पा रहीं तो यह करें
समय की कमी के चलते पूजा छोड़ ही दी जाए, यह जरूरी नहीं है। इसका हल तलाशना होगा। हल यह है कि अगर आप दुर्गा सप्तशती नहीं पढ़ पा रही हें तो सिर्फ दुर्गा चालीसा पढ़ने से पूरे फल की अपेक्षा की जा सकती है। चालीसा सिर्फ 5 मिनट में पूरा पढ़ा जा सकता है।

मां को क्या आर्पित करें और क्या नहीं

  • दुर्गा मां को लौंग-कर्पूर की आरती प्रिय है।
  • उन्हें दूर्बा नहीं चढ़ाई जाती है।
  • गुड़हल, कमल और सफेद अकौड़ा के फूल  मां को अति प्रिय हैं।
  • कलश के साथ दीपक जरूर स्थापित करें।
  • सिंदूर, हल्दी और लाल चंदन से तिलक करें।
  • 9 कमलगट्टे मां को अर्पित करें।
  • बेल पत्र और शमी पत्र देवी मां को खुश करते हैं।
  • अखंड दीपक नहीं जला पायीं हैं तो पूजा के वक्त दीपक जरूर जलाएं।

नौ देवियों के लिए नौ प्रसाद
देवी शैलपुत्री- इनके चरणों में देसी घी का प्रसाद चढ़ाना बीमारियों से छुटकारा दिलाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी- इनको साधारण भोग पसंद हैं इसलिए फल और मिश्री ही चढ़ाई जाती है।
देवी चंद्रघंटा- इनको प्रसाद के तौर पर दूध से बनी चीजें चढ़ाना फलदाई होता है।
देवी कुष्मांडा- देवी के इस रूप को मालपुआ चढ़ा कर खुश किया जा सकता है।
देवी स्कन्दमाता- देवी के इस पांचवें रूप को केले का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
देवी कात्यायनी- देवी के छठे रूप को शहद का भोग बेहद भाता है।
देवी कालरात्रि- इनको गुड़ से बने प्रसाद से खुश किया जा सकता है।
देवी महागौरी- इनको नारियल से बने प्रसाद से प्रसन्न किया जा सकता है।
देवी सिद्धिदात्री- देवी के इस नौवें रूप को तिल का प्रसाद खुश कर देता है।

(वास्तुविद एवं ज्योतिषी सर्वांगजी से बात पर आधारित) 
 

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