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सावधान: डाइटिंग आपको बना सकती है डिप्रेशन का शिकार, डाइटिंग करें पर संभलकर

सुंदर और आकर्षक दिखना हर किसी की चाहत होती है, लेकिन सुंदर दिखने से ज्यादा जरूरी है स्वस्थ होना। शारीरिक आकर्षण और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए वजन न औसत से अधिक होना चाहिए, न कम। विशेषकर...

सावधान: डाइटिंग आपको बना सकती है डिप्रेशन का शिकार, डाइटिंग करें पर संभलकर
हिन्दुस्तान फीचर टीम।,नई दिल्लीMon, 17 Jul 2017 05:34 PM
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सुंदर और आकर्षक दिखना हर किसी की चाहत होती है, लेकिन सुंदर दिखने से ज्यादा जरूरी है स्वस्थ होना। शारीरिक आकर्षण और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए वजन न औसत से अधिक होना चाहिए, न कम। विशेषकर युवतियां खुद को छरहरा और आकर्षक दिखाने की चाहत में बिना सोचे-समझे डाइटिंग करती हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो जाता है और मस्तिष्क को जरूरी पोषक तत्व न मिलने से उसकी कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इससे डिप्रेशन की आशंका भी बढ़ जाती है। 

स्वास्थ्य के लिए
स्वास्थ्य के लिए काबोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा जरूरी हैं। ये मैक्रोन्यूट्रिएंट्स कहलाते हैं। यही शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं तथा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी। वसा को लोग खराब मानते हैं, लेकिन सच तो यह है कि मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर की कार्यप्रणाली के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। मस्तिष्क में 24 घंटे सेरेटोनिन, डोपामाइन, नोरेपिनेफरीन का निर्माण होता रहता है। इसके लिए भी वसा का होना जरूरी है। प्रोटीन हमारी त्वचा, अंगों, मांसपेशियों, हामार्ेन, एंजाइम और इम्यून तंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन हाल में हुए शोधों से पता चला है कि प्रोटीन से मस्तिष्क को अमीनो एसिड ट्रिपटोफान मिलता है, जो मूड भी ठीक करता है। प्रोटीन मस्तिष्क के रसायनों डोपामाइन और नोरेपेनेफरीन के लिए भी जरूरी है, जो जागरूक रखते हैं और एकाग्रचित्त बनाते हैं। बिना सोचे-समझे डाइटिंग करने का मतलब है शरीर की काबार्ेहाइड्रेट की आवश्यकता को नजरअंदाज करना, जबकि काबार्ेहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। काबार्ेहाइड्रेट सेरिटोनिन के लिए जरूरी है, जो दिमाग को शांत रखता है। डाइटिंग कतई न करें। अपने स्वास्थ्य की जरूरतों के अनुसार डाइट प्लानिंग करें, जिसमें सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में हों। 

खानपान का ख्याल है जरूरी
अवसाद यानी डिप्रेशन के कई कारण हैं और यह किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। खानपान इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही डिप्रेशन का शिकार है तो खानपान संबंधी गड़बडि़यां इस समस्या को और बढ़ा देती हैं। वैसे डिप्रेशन का वास्तविक कारण तो पता नहीं है, पर न्यूरोट्रांसमीटरों का स्तर, मस्तिष्क के रसायन, आनुवंशिक कारण, तनावपूर्ण जीवन, आप क्या खाते हैं यह डिप्रेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर दूसरे कारण मौजूद हों तो डाइटिंग या खानपान की गलत आदतें इस समस्या को और बढ़ा देती हैं। डाइटिंग के कारण रक्त में शुगर का स्तर कम होने पर डिप्रेशन के गंभीर लक्षण नजर आने लगते हैं। विटामिन बी12 की कमी होने पर दिमाग का अगला भाग ठीक से काम नहीं करता।  
कड़ी डाइटिंग के कुछ दिनों बाद आप ज्यादा अवसादग्रस्त और उत्तेजित महसूस करेंगे। यह संभवतया न्यूरोट्रांसमीटरों जैसे सेरोटोनिन में परिवर्तनों के कारण हो सकता है। डिप्रेशन के रोगियों में सेरेटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर उचित मात्रा में नहीं होता, जो तंत्रिकाओं की कोशिकाओं के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करता है। इसके कारण व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है। आप जितना अधिक अवसादग्रस्त, उत्तेजित महसूस करेंगे, भोजन के प्रति आपकी दीवानगी उतनी बढ़ती जाएगी। इसलिए डाइटिंग के बाद कुछ लोग काफी अधिक मात्रा में खाने लगते हैं। इससे स्वास्थ्य और ज्यादा प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि कम समय में छरहरा दिखने की कोशिश न करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और संतुलित भोजन द्वारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने की कोशिश करें।

डाइटिंग करें, पर संभलकर
डाइटिंग शुरू करने से पहले डाइटिंग के नकारात्मक प्रभावों के बारे में पता होना जरूरी है। शोधों में यह बात सामने आई है कि डाइटिंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। डाइटिंग की बजाए डाइट प्लानिंग एक बेहतर कॉन्सेप्ट है। असल में डाइटिंग के पहले आपको अपना लक्ष्य निर्धारित करना पड़ेगा कि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं या अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और दिल की बीमारियों, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से खुद को बचाना चाहते हैं। अगर आप अपने स्वास्थ्य और पोषण को नजरअंदाज कर डाइटिंग करेंगे तो इससे आपका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होगा और आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होगा। कैलेरी शरीर को ऊर्जा देने और काम करने के लिए जरूरी है। जब आप अपनी शारीरिक आवश्यकता से कम मात्रा में कैलरी लेंगे तो शरीर की क्षमता कम हो जाएगी। शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से मस्तिष्क को ग्लूकोज और दूसरे पोषक तत्व नहीं मिल पाएंगे, जिससे उसकी कार्यप्रणाली बिगड़ जाएगी। 

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